जोधपुर। जोधपुर की तपती धूप में, एक अर्से से सुलगती रंजिश फिर से एक खौफनाक अंजाम तक पहुंची। कहानी है सुभाष की, जो सिर्फ 19 साल का लड़का था, पर उसकी किस्मत में जंग और मौत लिखी थी।
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54 साल पहले जो एक मामूली खेत के रास्ते का विवाद था, वह अब खून से सींचा जा चुका है। दो परिवार, थानाराम और चतुराराम, जिनके बीच की दुश्मनी ने कई जिंदगियां निगल लीं। अनिल लेगा की मौत के बाद सुभाष की जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। उसकी पढ़ाई छूट गई, और एक नई रंजिश का सिलसिला शुरू हुआ।
सुभाष, जो आईटीआई का स्टूडेंट था, ने कभी सोचा भी नहीं था कि सोशल मीडिया पर बनाई गई एक दोस्ती उसकी मौत की दस्तक होगी। डेढ़ महीने से प्लान हो रही थी उसकी हत्या, और बदमाशों ने इसका जाल बुनना शुरू किया इंस्टाग्राम पर। वह उनसे पैसों के लेन-देन के बहाने से मिला, लेकिन किस्मत ने उसके लिए कुछ और ही तय किया था।
धोखा : मौत का बुलावा
मंगलवार का दिन था, जब सुभाष को दो बदमाशों ने सांगरिया फाटा में बुलाया। वह सोचता था कि वह सिर्फ पैसे लेने जा रहा है, लेकिन असल में वह अपनी मौत के पास जा रहा था। एक बदमाश उसके सामने रुपए गिनने का नाटक कर रहा था, और दूसरे ने अचानक एक के बाद एक गोलियां चला दीं। दिन-दहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया गया सुभाष का शरीर, और फिर सन्नाटा पसर गया।
रंजिशों की धधकती आग
चैनाराम, सुभाष के चाचा, यह जानते थे कि उनके परिवार और दुश्मन परिवार के बीच की रंजिश कभी खत्म नहीं होगी। इसलिए, उन्होंने सुभाष को पहले ही चेतावनी दे रखी थी, "बेटा, बचकर रहना।" मगर रंजिशें अपने हिसाब से जिंदा रहती हैं, और बदमाशों ने उसे जाल में फंसा लिया।
दुश्मनी का इतिहास
ये कहानी सिर्फ आज की नहीं है, बल्कि 1970 से चली आ रही है, जब थानाराम और चतुराराम के बीच खेत के रास्ते को लेकर झगड़ा हुआ था। इस झगड़े ने पीढ़ियों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी, और एक के बाद एक मौतें होती चली गईं। अब तक चार हत्याएं हो चुकी हैं, और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
पुलिस की कोशिशें और रहस्य
पुलिस टैटू के आधार पर उन बदमाशों की तलाश कर रही है, जिन्होंने सुभाष की हत्या की थी। जांच में यह भी सामने आया कि सुभाष की हत्या को सुपारी देकर अंजाम दिलवाया गया था। जिस अनिल लेगा की मौत के बाद सुभाष की जिंदगी उलट-पलट हो गई थी, उन्हीं के करीबी लोग इस मर्डर में शामिल हैं।
दुश्मनी की यह आग और कितनी जिंदगियां लेगी
कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि यह शुरुआत है एक और जंग की। जहां एक परिवार अपने खोए हुए बेटे का बदला लेने के लिए तैयार हो रहा है, वहीं दूसरे परिवार के लोग छुपते फिर रहे हैं। दुश्मनी की यह आग अब कितनी और जिंदगियां जलाएगी, यह वक्त ही बताएगा।
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