जोधपुर। स्वयंभू संत आसाराम बापू के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगने के पांच साल बाद जोधपुर की अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अदालत ने 2013 के इस मामले में बुधवार को उन्हें दोषी करार दिया। दोषी करार दिए जाने के बाद ही कोर्ट ने आज ही सजा का भी ऐलान कर दिया है। नाबालिग से रेप के मामले में कोर्ट ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दो दोषियों शिल्पी और शरद को बीस-बीस साल कैद की सजा सुनाई है। फैसला आने के बाद आसाराम सिर पकडक़र रोने लगा। कोर्ट के अहम फैसले से यह तो साफ हो गया है कि अब आसाराम कभी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। जज ने कहा, आसाराम मौत तक जेल में रहेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायाधीश मधुसूदन ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में जोधपुर केंद्रीय कारागर के अंदर अपना फैसला सुनाया। आसाराम इसी जेल में बंद हैं। इससे पहले आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376, यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम (पोस्को) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजे) के तहत दोषी ठहराया गया। अदालत ने शिल्पी (आश्रम की वार्डन) और शरद को भी दोषी ठहराया है, जबकि शिवा और प्रकाश को इस मामले में बरी कर दिया है। दोपहर करीब ढाई बजे जज ने आसाराम, शिल्पी और शरद को सजा सुनाई। आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और शिल्पी-शरद को बीस साल कैद की सजा सुनाई गई है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद 2013 में आसाराम को गिरफ्तार किया गया था। किशोरी ने उन पर अगस्त में जोधपुर आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पीडि़ता मध्य प्रदेश के उनके छिंदवाड़ा आश्रम में 12वीं कक्षा की छात्रा थी। आसाराम (77) यौन उत्पीडऩ के दो मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। एक मुकदमा यहां राजस्थान में चल रहा है, जबकि दूसरा गुजरात में चल रहा है।
उन्हें इंदौर में गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया था। वह दो सितंबर 2013 से न्यायायिक हिरासत में हैं। उनके खिलाफ आपराधिक धमकी, आपराधिक साजिश रचने और यौन उत्पीडऩ समेत कई अन्य आरोप लगाए गए हैं। पुलिस द्वारा छह नवंबर 2013 को पोस्को, किशोर अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में आसाराम और चार अन्य सह-आरोपियों शिल्पी, शरद, शिवा और प्रकाश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
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