जयपुर। विधानसभा चुनाव में लगभग 8 मंत्रियों को अपनी हार का डर सता रहा है। इस कारण वे सीट बदलना चाहते हैं लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली है। इस कारण इन्हें मायूस होना पड़ रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंत्रियों और विधायकों को लगने लगा है कि राज्य में अब भाजपा सरकार नहीं आने वाली है। ऐसे में उन्हें भी अपनी हार का डर सता रहा है। आधा दर्जन मंत्री अपनी विधानसभा सीट बदलने की जुगत में लगे हुए है।
हालांकि पार्टी ने साफ कर दिया है कि किसी की भी सीट नहीं बदली जाएगी लेकिन
केन्द्र में पकड रखने वाले ये नेता अपनी सीट बदलने के लिए जोर आजमाइश करने
में जुटे हुए हैं।
राजस्थान की राजनीति के इतिहास में बड़े नेताओं का सीट बदलने का सिलसिला
पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के समय से ही चला आ रहा है।
शेखावत ने कई स्थानों से चुनाव लड़ा लेकिन उस समय जगह बदल कर चुनाव इसलिए
लड़ा जिससे कांग्रेस के गढ़ में भाजपा का कमल खिलाया जा सके। शेखावत ने
प्रदेश के हर क्षेत्र से चुनाव लड़ प्रदेश के हर क्षेत्र में भाजपा की नींव
रखी उसी की बदौलत है कि भाजपा प्रदेश ने इतना बड़ा जनाधार बना सकी है।
शेखावत अपने 10 बार के विधायक कार्यकाल में 8 बार अलग अलग सीटों से लड़े और
जीते और तीन सीटों से वो हारे भी।
इस बार सीट बदलने वाले नेताओं से सबसे पहला नाम सरकार के सबसे मजबूत
मंत्री राजेन्द्र राठौड का है। राठौड इस बार चूरू या तारानगर के स्थान पर
जयपुर के विद्याधरनगर सीट पर अपना भाग्य आजमाना चाहते है। राठौड़ 6 बार
विधायक रह चुके है 1990,1993,1998 और 2003 चार बार लगातार चुरू से विधायक
बने लेकिन 2008 में राठौड़ ने चुरू की बजाए तारानगर से चुनाव लड़ा और जीते
लेकिन चुरू में भाजपा चुनाव हार गई. उसके बाद 2013 में फिर से राठौड़ ने
चूरू से चुनाव लड़ा और अभी सरकार में मंत्री है.
इसके बाद कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी इस बार भी सीट बदलने की फिराक में
है,और उनकी निगाह देवली उनियारा पर टिकी है। सरकार में नंबर दो
पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान भी इस बार दूसरी सीट से भाग्य आजमाना चाहते
है क्योंकि सत्ता परिवर्तन की परिपाटी की वजह से 2008 में उन्हें चुनाव में
हार मिली थी। वे डीडवाना के स्थान पर इस बार फतेहपुर से अपना भाग्य आजमाने
की जुगत में लगे हुए है। जयपुर की आदर्श नगर सीट पर उनकी नजर भी है।
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