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जयपुर। 'वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे' के अवसर पर, झालावाड़ निवासी 59 वर्षीय राय सिंह की कहानी सामने आई है, जिन्हें ब्रेन ट्यूमर के कारण अपनी आवाज़ गंवानी पड़ी थी, लेकिन सफल सर्जरी के बाद उन्हें नया जीवन मिला है।
कुछ समय से राय सिंह को अचानक बोलने में दिक्कत हो रही थी और वे शब्दों को ठीक से बोल नहीं पा रहे थे। जब उनकी स्थिति बिगड़ने लगी, तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया। एमआरआई (MRI) स्कैन में उनके मस्तिष्क के बाएं हिस्से में 5.5 सेंटीमीटर का एक बड़ा ट्यूमर पाया गया। इस जटिल ट्यूमर की सफल सर्जरी भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, जयपुर के न्यूरो ऑन्कोसर्जन डॉ. दीपक वंगानी और उनकी टीम ने की, जिससे मरीज को जीवनदान मिला। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ. दीपक वंगानी ने बताया कि मस्तिष्क के बाएं हिस्से में ट्यूमर की सर्जरी बेहद जटिल होती है, क्योंकि यह हिस्सा बोलने, समझने, शरीर के दाहिने हिस्से को नियंत्रित करने, सोचने और निर्णय लेने जैसी महत्वपूर्ण क्षमताओं से जुड़ा होता है। सर्जरी में किसी भी छोटी तंत्रिका के प्रभावित होने पर इन क्षमताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इतने महत्वपूर्ण हिस्से में बड़े ट्यूमर को निकालना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। ऑपरेशन के दो दिन बाद ही रोगी की न केवल आवाज़ सामान्य होने लगी, बल्कि उसके शरीर का संतुलन और सोचने-समझने की क्षमता भी पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति के समान हो गई।
डॉ. वंगानी ने जानकारी दी कि भारत में हर साल लगभग 40,000 से 50,000 नए ब्रेन ट्यूमर के मामले सामने आते हैं। इनमें से लगभग 60% प्राइमरी ट्यूमर होते हैं, जो मस्तिष्क में ही उत्पन्न होते हैं, जबकि 40% सेकेंडरी ट्यूमर होते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों से मस्तिष्क में फैलते हैं। उन्होंने जोर दिया कि समय पर पहचान और आधुनिक न्यूरोसर्जरी द्वारा इलाज से न केवल मरीज की जान बचाई जा सकती है, बल्कि उसकी जीवन गुणवत्ता भी बेहतर की जा सकती है। उन्होंने समाज में ब्रेन ट्यूमर को लेकर जागरूकता फैलाने को बेहद ज़रूरी बताया।
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नरेश जाखोटिया ने ब्रेन ट्यूमर के कुछ प्रमुख लक्षण बताए, जिनके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है: तेज या लगातार सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी, रह-रहकर परेशानी, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोशी आना, बोलने में कठिनाई या व्यक्तित्व में बदलाव। उन्होंने सलाह दी कि इन लक्षणों को नजरअंदाज करने के बजाय तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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