जयपुर/ वर्धा । खादी मिशन के तत्वावधान में सेवाग्राम आश्रम में बीते 10 और 11 मार्च को खादी सभा आयोजित की गई। इस सभा में देश के सभी प्रांतों के खादी फेडरेशन के पदाधिकारी और खादी मिशन के प्रांत संयोजकों सहित 300 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
खादी मिशन के संयोजक बालविजय ने कहा कि सभा ने यह निर्णय लिया है कि देश में कार्यरत खादी और ग्रामोद्योग संस्थाएं आगामी वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2018 से खादी-ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से प्रदान किए जाने वाले एमएमडीए विपणन विकास सहायता के तहत अनुदान प्राप्त करने का दावा प्रस्तुत नहीं करेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसके अलावा के.आय.एम.आय.एस और जीएसटी को किसी स्तर पर स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खादी-ग्रामोद्योग आयोग की समस्त नीतियां खादी कार्य की मूल भावना के विपरीत है। खादी संस्थाओं की स्वायत्ता को समाप्त कर उसे एजेंट का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि कभी स्वतंत्रता का झंडा थामने वाली खादी, आज खादी-ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से नियमों के जाल में जकड़ी जा रही है। बालविजय ने आरोप लगाया कि भारत सरकार की तरफ से खादी-ग्रामोद्योग आयोग को खादी संस्थाओं के माध्यम से गतिविधि बढ़ाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है, लेकिन खादी आयोग की तरफ से उस अनुदान का उपयोग अपने स्वंय के खर्चों की पूर्ति में किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ न लाभ, न हानि के सिद्धांत पर गठित खादी संस्थाओं को रिबेट की राशि की प्रतिपूर्ति भी नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम स्थिति पर है, ग्रामीण क्षेत्र मौसम की मार से पीड़ित है । उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति सिर्फ खादी ग्रामोद्योग की एकमात्र ऐसा जरिया है, जिससे पीड़ित लोगों को सम्मानजनक राहत पहुंचाई जा सकती है।
इस सभा में जवाहरलाल, विभा गुप्ता, अनिल कुमार सिंह, कृष्णा स्वामी, सी.. सेंथीलनाथन, मुश्ताक अहमद कुरैशी, नित्यानंद चौधरी, राजेंद्र चव्हाण, राजीव गागोदेकर, लोकेंद्र भारती समेत खादी मिशन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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