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जयपुर । राजस्थान में जब से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है, तभी से ब्यूरोक्रेसी और मंत्रियों के बीच ठीक-ठाक समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि पहले सरकार के गठन के बाद ताबड़तोड़ तरीके से आईएएस और आरएएस अफसरों के तबादले हुए। इसके बाद कांग्रेस के मंत्रियों और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अपने चेहतों को मलाईदार पदों और इच्छित स्थानों पर पोस्टिंग दी।
लेकिन अभी भी हालात ये है कि अगर मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई ट्रांसफर पोस्टिंग का जीए ऑर्डर निकल जाए, तो संबंधित मंत्री को शायद ही पता रहता हो, कि उसके विभाग में किसी का ट्रांसफर मुख्यमंत्री कार्यालय के निकले जीए आर्डर से हुआ है।
अब राजस्थान विधानसभा का सत्र 5 अगस्त को अनिश्चिकाल के लिए स्थगित हो चुका है, इसके बाद से ही शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों में तबादलों को लेकर मारा-मारी होने वाली है। अभी तक मुख्यमंत्री की तरफ से शिक्षा विभाग को हरी झंडी नहीं मिली है। लेकिन कांग्रेसी विधायकों की तरफ से लंबी-चौड़ी ट्रांसफर-पोस्टिंग के डिजाइर शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पास पहुंच चुकी है।
इस मामले में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना था कि नियमों के तहत ही ट्रांसफर होंगे और राजनीतिक द्वेश से पीड़ित व्यक्ति को इंसाफ मिलेगा। इससे यह साफ है कि भाजपा शासन के दौरान किसी कांग्रेसी विचारधारा वाले शिक्षक का तबादला हुआ होगा, तो उसे इंसाफ मिलेगा। इसके अलावा कांग्रेस विधायकों को भी सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र से संबंधित स्कूलों के शिक्षकों की डिजायर लिखने की हिदायत दी गई है। यह नहीं कि जयपुर की किशनपोल या सिविललाइंस विधानसभा क्षेत्र का विधायक या मंत्री बाड़मेर या जोधपुर के किसी सरकारी कर्मचारी के ट्रांसफर के लिए डिजायर लिख देवें।
इसके अलावा कांग्रेस पदाधिकारियों, हारे हुए लोकसभा प्रत्याशियों, विधानसभा प्रत्याशियों, और अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की नजर राजनीतिक नियुक्तियों पर भी टिकी हुई है। उपभोक्ता मंचों समेत विभिन्न बोर्डों, निगमों के पद खाली है। कांग्रेस विधायक भी जब सीएम से मिलने का मौका मिलता है, तब जाकर अपनी इच्छा जाहिर कर देते है। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों और समर्थन देने वाली पार्टियों के विधायकों को भी उम्मीद है कि राजनीतिक नियुक्तियों में कुछ जगह मिल सके।
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