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भारत की स्मार्ट सिटी अवधारणा में दिखना चाहिए अनूठा व्यक्तित्व और स्टाइल : एन.जी. थॉमस

जयपुर। भारत की स्मार्ट सिटी अवधारणा में अन्य देशों की नकल नहीं होनी चाहिए। इसमें भारत का अनूठा व्यक्तित्व और स्टाइल दिखनी चाहिए। यह बात एनजी ग्लोबल एफजेड एलएएलसी के सीईओ एवं दुबई के स्मार्ट सिटी कंसल्टेंट एन.जी. थॉमस ने कही। वे गुरुवार को होटल जयपुर मेरियट में स्मार्ट एंड डिजिटल राजस्थान समिट एंड एक्सपो-2018 के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की स्मार्ट सिटीज के विकास में योगदान देने वाली सबसे बड़ी संपत्ति इसमें रहने वाले लोग हैं। स्मार्ट सिटीज में पहले दिन से ही पैसा जेनरेट करना चाहिए। विभिन्न सेवाओं को उपलब्ध कराने के बदले बड़ी जनसंख्या से छोटा सा शुल्क लिया जाए तो सकारात्मक वित्तीय परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

इस अवसर पर आईजीबीसी की पॉलिसी एंड एडवोकेसी कमेटी के चेयरमैन वी. सुरेश ने कहा कि स्मार्ट सिटीज को स्मार्ट ग्रीन सिटीज में बदलने की जरूरत है। इससे इन शहरों में पानी-बिजली की खपत कम होगी, कचरे का बेहतर निस्तारण होगा और इनमें रहने वालों को अच्छी आवास सुविधा मिल सकेगी। स्मार्ट सिटीज बनाने के लिए वित्तीय संसाधन आवश्यक हैं। स्मार्ट सिटीज के लिए बांड्स, ग्रांट्स, टैक्स कलेक्शन आदि के जरिए वित्तीय संसाधन जुटाने में निजी और सरकारी क्षेत्र के मध्य उचित संतुलन आवश्यक है।

इस अवसर पर जे.मोहनको कंस्ट्रक्शंस के मैनेजिंग पार्टनर जैमिनी उबेरॉय ने कहा कि कई कंपिनयां भी स्मार्ट, डिजिटल और ग्रीन होने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एआईसीसी की रीजनल वाइस प्रेसीडेंट अरुणा सेठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

पहला सत्र - स्मार्ट सिटी की सफलता की कुंजी है तकनीक, नवाचार और सहयोग

सेंटर फॉर रिसर्च इन अर्बन अफेयर्स इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज की प्रोफेसर डॉ. कला सीतारमण श्रीधर ने कहा कि ई-कॉमर्स और इंटरनेट जैसे नए आर्थिक उद्योग पनपना इस का बात के संकेत हैं कि प्राचीन आर्थिक उद्योग विफल रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ‘वर्क फ्रॉम होम’ जैसी अवधारणाओं से ट्रैफिक और प्रदूषण कम होता है। इसी तरह ई-कॉमर्स में अमेजन, जबोंग आदि के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग ने शॉपिंग के परंपरागत तरीके बदल दिए हैं। भारत में बचत की दर 31 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में यह सिर्फ 17 प्रतिशत है। यह इसलिए है कि भारत में आज भी लोग भुगतान के लिए नकदी का इस्तेमाल करते हैं। नकद भुगतान से खर्च पर नियंत्रण रहता है।

सीनियर वाइस प्रेसीडेंट स्मार्ट ग्रिड, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अजय राजपानी ने कहा कि वर्तमान में खुशहाल समुदाय बनाने की आवश्यकता है, जो उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर्स जैसी सुविधाएं दे। राजस्थान में 2.50 लाख स्मार्ट मीटर लगाया जाना प्रस्तावित है। इससे उपभोक्ताओं को स्वयं की बिजली की खपत पर नजर रखने में सहायता मिलेगी और वे बिजली की खपत पर नियंत्रण कर अपनी लागत कम कर सकेंगे।



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