जयपुर। धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली धानक्या में बन रहे राष्ट्रीय स्मारक का कार्य करीब एक माह में पूरा होगा। यह स्मारक राष्ट्रीय विचारधारा के तीर्थ के रूप में विकसित होगा। इसमें उनके विचारों, जीवन दर्शन एवं जीवन यात्रा को प्रदर्शित किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लखावत सोमवार को जयपुर जिले की झोटवाड़ा पंचायत समिति में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली धानक्या में उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यहां स्थित दोनों क्वार्टर जिनमें पं. उपाध्याय का जन्म हुआ था, उनमें पं. उपाध्याय जन्म से लेकर 8वीं कक्षा तक के अध्ययन से संबंधित जीवन यात्रा को 3डी सिस्टम के द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा। इसके पास विकसित भव्य राष्ट्रीय स्मारक में पं. उपाध्याय के 10वीं कक्षा से उच्च अध्ययन, राजनैतिक यात्रा, एकात्म मानववाद की उनकी विचार धारा तथा उनके जीवन से जुड़े प्रेरणास्पद प्रसंगों को अलग-अलग हिस्सों में दिखाया जाएगा। यह उनके जीवन और सद्विचारों को जानने और समझने के लिए अध्ययन केन्द्र बनेगा।
धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ने कहा कि इस स्मारक को विकसित करने के लिए रेलवे ने 4500 वर्ग मीटर जमीन दी। राज्य सरकार द्वारा इसके बदले में रेलवे को 01 करोड़, 61 लाख रूपए तथा रेलवे लाइन के पार 8700 वर्गमीटर जमीन दी गई।
पं. दीनदयाल उपाध्याय की ग्रामीण विकास की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए गजेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी सोच थी कि गांव की अच्छाई व बुराई मेरी अपनी है, गांव को अच्छा बनाना सबसे पहले मेरा अपना कर्तव्य है, सरकार व ग्राम पंचायत का नहीं। वे गाय, धरती एवं प्रकृति के प्रति दृष्टि के पुजारी थे और गाय व धरती माता को आधार बनाकर विकास चाहते थे। उनका मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति गांव को अपना मानकर इसे तीर्थ बनाए। सिंह ने कहा कि इसी भावना के अनुरूप सब बातों की जिम्मेदारी जब हम लेंगे तो पं. दीनदयाल उपाध्याय के सपनों को साकार कर पाएंगे।
कैलाश ने कहा कि पं. उपाध्याय की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे जो कहते थे वह करते थे। उनकी कथनी व करनी एक थी। उनका कहना था कि आप जो जानते हैं व मानते हैं, उसे अपने आचरण का विषय बनाए। प्रोफेसर विजयवीर सिंह ने अर्थशास्त्र पर पं. उपाध्याय के विचारों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में मौजूद पं. दीनदयाल उपाध्याय की भतीजी मधु शर्मा ने इस स्मारक के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे एवं लखावत का आभार जताते हुए कहा कि यह स्मारक राष्ट्र के निर्माण में बहुत बड़ा सहयोग करेगा।
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