-सरकारी कागज में गलत खून चढाने से मौत को बताया सड़क दुघटना
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दौसा। दौसा कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से एसएमएस अस्पताल में गलत खून चढ़ाने की वजह से हुई मौत को सड़क हादसा बताकर 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता जारी की है। कलेक्टर द्वारा जारी इस पत्र की सोशल मीडिया में भजनलाल सरकार की जमकर निंदा की जा रही है।
सोशल मीडिया में एक यूजर ने लिखा है कि एक मौत का इतना बड़ा मजाक????
सरकारी तंत्र का यह कृत्य सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़े एक युवक और उसके परिवार और प्रकारांतर से उन सभी लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है, जो इस परिवार को न्याय दिलाने के लिए जुटे हुए हैं। सचिन शर्मा की मौत गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने के परिणाम स्वरुप हुई। इसकी बाकायदा जांच हुई। गलत ग्रुप चढ़ाने के दोषियों पर निलंबन और एपीओ की कार्रवाई भी हुई। इसके बावजूद सरकारी कागजों में मौत का कारण सड़क दुर्घटना में मृत बताया गया और उसी अनुरूप छोटा सा मुआवजा भी दे दिया गया। जो मामला देश और प्रदेश में चर्चा में है, लोगों की भावनाएं उद्वेलित हैं, ऐसे मामले में मौत का साधारण कारण दर्ज करना और उसे सरकार के उच्च स्तर पर अप्रूव कर देना, समझ से परे है। जो अफसर मुख्यमंत्री को धोखा दे सकते हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मुख्यमंत्री के आसपास गलत लोगों का घेरा बन चुका है, वे मुख्यमंत्री को ही गुमराह कर रहे हैं तो जनता का क्या भला कर रहे होंगे। उसे भी तुरंत ठीक करने की जरूरत है। मौत का यह कारण कागजों पर लाने वालों को तुरंत बर्खास्त करके मुआवजा राशि बढ़कर इस गलती को ठीक करनी होगा। वरना सरकार की विश्वसनीयता दांव पर ही रहेगी। भले ही आप इन दिनों कितनी भी बड़ी कारवाइयां करते हैं।
हम लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि मुख्यमंत्री अपना सोशल मीडिया अकाउंट स्वयं नहीं चलाते इसलिए वे हमारे द्वारा दी गई जानकारियां नहीं देख पाते होंगे। राजनीतिक रूप से सक्षम लोग जिनकी नजर में यह पोस्ट आए, वे जरूर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को यह बताएं कि आपके अधिकारी आपकी छवि को कितनी बड़ी चोट पहुंचा रहे हैं। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। दूसरी बात, राजस्थान में विपक्ष नाम की कोई चीज भी है। इसका अहसास भी राजस्थान के लोगों और राजस्थान की सरकार को होना चाहिए। सरकार का यह कागज विपक्ष के लिए एक बहुत अच्छा और पुख्ता अवसर प्रदान करता है। कलेक्टर द्वारा जारी पत्र में मौत का कारण सड़क हादसा बताने के मामले में दौसा आए उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि मामले की हर पहलू से जांच कराई जाएगी इसके बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि, फरवरी में सचिन का एक्सीडेंट होने के बाद उसे कोटपूतली से एसएमएस के ट्रोमा सेंटर में रेफर किया गया था। जहां सचिन को O+ ब्लड की जगह AB+ ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया गया था। इसी कारण मरीज की दोनों किडनियां खराब हो गई थी, जिसके बाद मरीज का डायलिसिल किया जा रहा था। इसके बाद सचिन की मौत हो गई थी। इस मामले में एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल की ओर से गठित जांच समिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अस्थि रोग सह आचार्य डॉ. एस के गोयल, रेजिडेंट डॉक्टर ऋषभ चलाना, डॉ. दौलत राम और नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा को दोषी पाया।
चिकित्सा विभाग की एसीएस शुभ्रा सिंह ने नर्सिंग ऑफिसर अशोक कुमार वर्मा को निलंबन करने के साथ ही सह आचार्य डॉ. एस के गोयल, रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. ऋषभ चलाना और डॉ. दौलत राम को एपीओ करने के आदेश जारी किए।
परिवार में केवल सचिन ही था कमाने वाला
सचिन परिवार में अकेला कमाने वाला था। सचिन के पिता महेश शर्मा ने बताया कि उनकी किडनी खराब हो जाने की वजह से उनका बेटा उनकी जगह पर नौकरी कर रहा था। सचिन के परिवार में पिता-मां और एक बहन है। बहन की शादी भी नहीं हुई है। पिताजी की किडनी खराब होने के कारण पूरे परिवार जिम्मेदारी सचिन के ऊपर ही थी। 24 फरवरी को कोटपुतली में रात के समय वो दूध लेकर अपने कमरे पर जा रहा था, तभी उसका एक्सीडेंट हो गया था। सचिन शर्मा के पिता ने कहा कि वो गरीब परिवार से हैं, उनकी स्थिति गांव वालों से छिपी नहीं है।
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