भीलवाड़ा (ब्यूरो)। कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई भाजपा की भजन लाल शर्मा सरकार करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की कोरी बातें कर रही है। अभी कहीं किसी अफसर या कांग्रेसराज के पुराने एक भी प्रकरण में कार्रवाई देखने को नहीं मिली है, जिससे लोगों को भरोसा हो कि वास्तव में नई सरकार करप्शन पर जीरो टॉलरेंस रखेगी।
अफसरों में अभी भी करप्शन को लेकर बिल्कुल भी खौफ नहीं है। वे टेंडर हों या अन्य काम ऐनकेन प्रकारेण अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति बेरोक-टोक करने में लगे हैं। अब भीलवाड़ा में यूडी टैक्स से संबंधित टेंडर को ही ले लीजिए। इसमें आयुक्त हेमाराम चौधरी द्वारा अपनी चहेती फर्म को ही ठेका दिलाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाया हुआ है। इस टेंडर की प्रक्रिया ही आयुक्त का जयपुर की एक फर्म विशेष में निजी स्वार्थ साबित करने के लिए काफी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जानकारी के मुताबिक भीलवाड़ा नगर परिषद आयुक्त हेमाराम चौधरी पिछले दिनों जयपुर नगर निगम से ही ट्रांसफर होकर यहां आए हैं। इसलिए वहां यूडी टैक्स का काम कर रही फर्म विशेष से इनका गहरा लगाव है। उसे किसी भी तरह भीलवाड़ा में यूडी टैक्स का काम मिल जाए। इसलिए इन्होंने पहले तो पूरा टेंडर डॉक्यूमेंट ही उस फर्म विशेष के हिसाब से बना डाला। इस पर जब दूसरी फर्म ने हल्ला मचाया तो इन्होंने गलतियों को दूर करके टेंडर डॉक्यूमेंट को सही करवाया।
नगर परिषद सूत्रों का कहना है कि अब जब सारी प्रकिया पूरी हो चुकी तो टेन्डर कमेटी (analysis) से आयुक्त को पता चला कि इनकी चहेती फर्म तो इसमें qualify ही नहीं कर पा रही है। अब आयुक्त को अपने सपनों पर पानी फिरता नजर आया। इसलिए करते भी क्या टेन्डर की फाइल ही रोक कर बैठ गए। दुबारा प्रेजेंटेशन का राग अलापने लगे।
इधर, जब नगर परिषद के अन्य अधिकारियों और बोर्ड को लाखों रुपए का यूडी टैक्स मिलने में देरी होती दिखी तो आयुक्त की इच्छानुसार दुबारा presentation लिया गया। लेकिन, रोचक तथ्य यह है कि इसमें भी इनकी चहती फर्म presentation देने ही नहीं आई। क्योंकि वह क्वालिफाई ही नहीं कर रही है।
चहेती फर्म को अयोग्य घोषित करने के पत्र पर नहीं कर रहे दस्तखतः
अब सभी ने जब इनकी चहेती फर्म को अयोग्य घोषित करने का निर्णय लिया तो आयुक्त ने पत्र पर साइन नहीं किया। अब डिस्पैच किया लेटर इनके हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा है। आयुक्त द्वारा किसी फर्म का इस प्रकार पक्ष लेना इनके कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा कर रहा है।
वैसे जयपुर नगर निगम में इनकी इस चहेती फर्म के खिलाफ कई मुकदमे एंटी करप्शन में दर्ज हो चुके हैं। लेकिन, आयुक्त महोदय शुरू से ही इसी फर्म को भीलवाड़ा सौपने में लगे हुए हैं। बोर्ड अब योग्य फर्म की वित्तीय निविदा खोलने का निर्णय ले रही है। आयुक्त द्वारा अपने पद का दुरुपयोग और राजकीय कोष को हानि पहुँचाने की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जा चुकी है।
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