भीलवाड़ा । कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष रामपाल शर्मा ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) से भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और शाहपुरा जिले को भी जोडना चाहिए। यह मांग उठाते हुए शर्मा ने मंगलवार को अपने निवास स्थान पर आयोजित पत्रकारवार्ता में बताया कि तीनों जिलों के भविष्य एवं विकास को ध्यान में रखते हुए ईआरसीपी योजना से जोड़ना अतिआवश्यक है ताकि राजस्थान की इस महत्वकांशी योजना का पूर्ण रूप से लाभ मिल सके।
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शर्मा ने बताया कि भीलवाडा व शाहपुरा जिले की जनसंख्या पच्चीस लाख से ज्यादा होकर यहा पर 40 से ज्यादा बांध व तालाब है जिनसे फसलो के लिए नहरों के रूप में सिंचाई व पेयजल हेतु काम में लिया जाता है। जिले में 10-15 नदियां व नाले है जो कि वर्षाकाल मे ऊपर के स्तर पर अच्छी वर्षा होने पर ही चलती है।
उन्होंने बताया कि भीलवाडा,चितौडगढ और शाहपुरा जिले बीसलपुर केचमेट में आने के कारण भविष्य में कोई बांध की योजना नहीं बनाई जाएगी एवं वर्तमान में भीलवाडा जिले में चम्बल परियोजना से पीने का पानी आ रहा है, भीलवाडा से बहने वाली बनास नदी में ब्रम्हाणी व मेनाली नदी को चम्बल नदी से जोडने का प्रस्ताव एवं समय-समय पर इनको जोडने के लिये सर्वे हो चुके हैं, योजना को क्रियान्विति किया जाना है,जो अभी तक यह कार्य आगे नहीं बढ़ा है, अगर यह नदिया जुडती है तो बीसलपुर बांध में भराव क्षमता में इजाफा होगा और बीसलपुर बांध कभी भी खाली नहीं रहेगा।
बीसलपुर बांध योजना से जयपुर, अजमेर सहित कई जिले में पेयजल के लिये पानी दिया जाता है इससे उन जिलो को भी लाभ होगा, इसलिए ईआरसीपी में भीलवाडा, शाहपुरा व चितौडगढ जिले को जोडना जरूरी हैं,इससे अनेक जिलो को लाभ होगा,उक्त नदी का मिलन त्रिवेणी संगम पर किया जाना था,राजस्थान में सबसे कम लागत में यह योजना पूरी होगी।
जयपुर और अजमेर में पानी की भविष्य की आवश्यक को पूरा करने के लिए ब्राह्मणी नदी से बनास और फिर बनास पर बने बीसलपुर बांध तक पानी लाने की योजना थी। वर्तमान में ब्राह्मणी नदी में बहने वाला वर्षा जल अप्रयुक्त हो जाता है क्योंकि यह चम्बल नदी में मिल जाता है जो अंततः उत्तर प्रदेश में यमुना में मिलती हैं। हर मानसून में कम से कम कुल 500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का उपयोग किया जा सकता है जो अन्यथा बर्बाद हो जाता है।
पीडीसीओआर (राजस्थान सरकार और इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तित कंपनी) के काम आवंटित किया गया हैं, जो ब्राह्मणी नदी से बीसलपुर तक पानी कैसे लाया जाए, इस पर विस्तृत अध्ययन कर चुकी थी।
शर्मा ने बताया कि उदयपुर से लेकर मातृकुण्डिया तक एवं मातृकुंडिया से भीलवाड़ा मेजा डैम तक सभी बांधो को फीडर द्वारा एक दुसरे को मिलाया हुआ है परन्तु मेजा डेम से मांडल तालाब एवं हुरडा,बनेडा,शाहपुरा,कोटड़ी,जहाजपुर के बांध व तालाब फीडर के माध्यम से जोडे जा सकते हैं, भीलवाड़ा में मातृकुंडिया से मेजा डेम तक फीडर का निर्माण हो रखा है, मेजा बांध व अन्य बांधो को जोड़ना जरूरी है एवं भविष्य में कोई भी बडी परियोजना भीलवाडा में नहीं बनाई जा सकती है बीसलपुर केचमेंट क्षेत्र के कारण जिले में एक-दूसरे नदियो एवं बांधो को माध्यम से जोडना जरूरी हैं।
शर्मा ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि उक्त परियोजना की अनुमानित लागत ईआरसीपी द्वारा ही पुरी की जा सकती है जबकि परियोजना को पूरा होने में 4 से 5 साल लगने की उम्मीद है। बीसलपुर बांध एक करोड लोगो की पानी की जरूरत पूरी करता है लेकिन 2050 तक बीसलपुर पर निर्भर लोगो की सख्या दोगुनी हो जाएगी। इस दीर्घकालिक योजना बनाने में जयपुर और अजमेर के अलावा कई जिले में भी अधिक क्षेत्रों को कवर करने का है।
शर्मा का कहना था कि भीलवाडा नगर विकास न्यास द्वारा मेजा डेम को वर्ष 2012-13 में पेराफेरी में शामिल किया गया था, उसका मुख्य उद्देश्य था कि न्यास द्वारा बहुउद्देशीय योजना के साथ-साथ मेजा से कोठारी डेम तक एक रिवर फ्रूट का निर्माण करने के साथ ही सरकारी कार्यालय आदि की योजना बनी थी परन्तु 10 वर्षों से कागजो में हैं। उक्त रिवर फ्रंट लगभग 45 किमी का होता है इससे 30 किमी. नगर विकास न्यास द्वारा बनाया गया था व 15 किमी. जलदाय विभाग के अन्तर्गत आता हैं। इनका बहुउद्देशीय योजना से हजारों करोड़ का लाभ मिलता एवं भीलवाडा एक नया शहर बनता साथ ही ब्लॉक सुवाणा, भीलवाडा शहर तथा तहसील कोटडी सहित लगभग 380 गावों का पानी का स्तर ऊंचा होता उससे किसानों, उद्योगों को लाभ के साथ-साथ काफी रोजगार प्राप्त होता इस जल संसाधन सम्बन्धी कार्य को ईआरसीपी में जोडना जरूरी है।
शर्मा ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि ब्रम्हाणी व मेनाली नदी को चम्बल व बनास से मिलाने की समय-समय पर परियोजना पर चर्चा हुई योजना बनी परन्तु आगे कार्य नहीं हो सका एवं भीलवाड़ा और शाहपुरा के बांधों को नहरों के माध्यम से जोड़ना अति आवश्यक हैं। इस हेतु भीलवाडा व शाहपुरा जिले को ईआरसीपी योजना में शामिल किया जाना आवश्यक है। इससे भीलवाडा व शाहपुरा जिले के किसानो व आमजन को लाभ होगा। आशा है कि आप द्वारा इस योजना में इन भीलवाडा, शाहपुरा व चितौडगढ़ जिलो को जोडा जाएगा तो किसानों व आमजन को लाभ होगा।
इस दौरान पूर्व महासचिव महेश सोनी,चेतन डिडवानिया,हेमराज आचार्य,अनिल राठी व दुर्गेश शर्मा सहित कई उपस्थित थें।
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