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केवलादेव राष्ट्रीय घना उद्यान के लिए जल संकट गंभीर, भरतपुर को एनसीआर से हटाया जाए : डॉ. सुभाष गर्ग

Water crisis is serious for Keoladeo National Park, Bharatpur should be removed from NCR: Dr. Subhash Garg - Bharatpur News in Hindi

विधानसभा संवाददाता
भरतपुर। पूर्व मंत्री एवं स्थानीय विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने सोमवार को राजस्थान विधानसभा में उद्योग, वन एवं पर्यावरण की अनुदान मांगों पर बहस में हिस्सा लेते हुए भरतपुर जिले के विकास और पर्यावरण से जुड़े अहम मुद्दों को उठाया। उन्होंने विशेष रूप से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी अभयारण्य) में जल संकट और भरतपुर के औद्योगिक विकास पर चर्चा की।
डॉ. गर्ग ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को साल 1985 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया था। यह उद्यान साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, अफगानिस्तान, मध्य एशिया और उज़्बेकिस्तान से आने वाले 300 से अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों का ठिकाना है। हर साल 1.5 से 2 लाख पर्यटक यहां आते हैं, जिससे सरकार को विदेशी मुद्रा भी मिलती है।
इस अभयारण्य की सबसे बड़ी समस्या जल संकट है। इसे हर साल 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है, जिसे पहले पांचना डैम से आपूर्ति करने की योजना थी। यह पानी गंभीर और बाणगंगा नदियों के माध्यम से लाया जाना था। लेकिन, कई बार पांचना बांध से पानी नहीं छोड़ा जाता, कभी पूरा पानी नहीं मिलता। इस समस्या को हल करने के लिए 700 करोड़ रुपए की एक योजना बनाई गई थी, जिसके तहत धौलपुर से सीधे घना अभ्यारण्य तक पाइपलाइन डालनी थी।
इसके बाद चंबल-अलवर परियोजना (5356 करोड़ रुपए) की योजना बनाई गई। इसमें 550 करोड़ रुपए केवल घना के लिए आरक्षित किए गए थे। जिसके तहत बयाना से केवलादेव घना तक पाइप लाइन डालनी थी। लेकिन, बाद में इसे योजना में शामिल नहीं किया गया। डॉ. गर्ग ने सरकार से मांग की कि इस अभयारण्य को जल संकट से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, अन्यथा इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट की कैटेगरी से हटाया जा सकता है। पहले भी इस पर खतरा आ चुका है।
भरतपुर को एनसीआर से हटाने की मांगः
भरतपुर जिले के औद्योगिक विकास पर चर्चा करते हुए डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि एनसीआर और ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की पाबंदियों की वजह से भरतपुर को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि 40 साल पहले भरतपुर एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र था, लेकिन अब कई बड़ी इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के माध्यम से केंद्र सरकार से भरतपुर को एनसीआर बोर्ड से हटाने की मांग की। डॉ. गर्ग ने कहा कि मथुरा और आगरा एनसीआर में शामिल नहीं हैं, तो भरतपुर को क्यों रखा गया है? राज्यहित में यह आवश्यक है कि भरतपुर को एनसीआर से हटाकर उद्योगों को फिर से स्थापित किया जाए।
भरतपुर में इंडस्ट्रियल विकास की संभावनाएंः
डॉ. गर्ग ने कहा कि भरतपुर में सरसों उद्योग की संभावनाएं काफी अधिक हैं। लेकिन, रिप्स (RIPS) योजना के तहत केवल नई इंडस्ट्रीज को लाभ मिल रहा है, जबकि पुरानी इंडस्ट्रीज बंद हो रही हैं। उन्होंने सरकार से पुरानी इंडस्ट्रीज को भी इंसेंटिव देने और नए इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने की मांग की। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भरतपुर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इसे इलेक्ट्रॉनिक और आईटी हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट भरतपुर से मात्र 90-95 किमी की दूरी पर है, और दिल्ली व जयपुर से भरतपुर की कनेक्टिविटी बेहतरीन है। इसे ध्यान में रखते हुए यहां आईटी और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इन्वेस्टमेंट समिट पर व्हाइट पेपर जारी करने की मांगः
डॉ. गर्ग ने कहा कि 2013 से राजस्थान में इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने उद्योग मंत्री से मांग की कि इन्वेस्टमेंट समिट पर एक व्हाइट पेपर जारी किया जाए, जिससे यह स्पष्ट हो कि कितने एमओयू धरातल पर उतरे हैं और उद्योगपतियों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि लालफीताशाही के कारण निवेशक अपने प्रोजेक्ट वापस ले जा रहे हैं? यदि ऐसा हो रहा है, तो इसे तुरंत रोका जाना चाहिए और उद्योगपतियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
डॉ. सुभाष गर्ग ने सरकार से मांग की कि भरतपुर को औद्योगिक रूप से पुनर्जीवित किया जाए, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को जल संकट से बचाया जाए और भरतपुर को एनसीआर से बाहर निकालकर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने इन्वेस्टमेंट समिट पर भी सरकार से पारदर्शिता बनाए रखने की अपील की, ताकि राजस्थान का औद्योगिक विकास धरातल पर दिख सके।

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