• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 4

सोना उगलने लगे हैं जनजाति काश्तकारों के खेत-खलिहान

जयपुर/बांसवाड़ा। अपने घर-परिवार का पालन-पोषण करने और खुशहाल जिन्दगी जीने की तमन्ना से अपनी जन्मभूमि से हजारों किलोमीटर दूर कुवैत जाकर रोजगार करने वाले आदिवासी किसान की जिन्दगी में खेती-बाड़ी की सरकारी योजनाओं ने ऎसा चमत्कार दिखाया कि अब उनके लिए कुवैत का काम-धंधा फीका हो गया। अब उनके खेत सोना उगल रहे हैं।

यह कहानी है बांसवाड़ा पंचायत समिति के पीपलोद गांव के आदिवासी काश्तकार नारायणलाल राणा की। अपने परिवार को पालने के लिए उन्होंने कुवैत जाकर काम-धंधा भी किया, लेकिन उन्हें लगा कि खेती-बाड़ी पर ही ध्यान दिया जाए तो कुवैत से भी बढ़कर धन और खुशहाली पाई जा सकती है। खेतों से खुशहाली पाने की उम्मीदों से भरे नारायण भाई ने इसके लिए दूरदर्शन के कृषि चैनल को माध्यम बनाया और खेती-बाड़ी से संबंधित जानकारी पाई। इसके बाद उन्होंने कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों व कार्मिकों, कृषि पर्यवेक्षक आदि से सम्पर्क किया और अपने लायक योजनाओं का लाभ पाने की सोची।

52 वर्षीय कृषक नारायणलाल बताते हैं कि कुवैत जाने से पहले वे अपनी जमीन पर मक्का, गेहूं, सब्जियां आदि करते थे। इससे उन्हें सालाना औसतन 80 हजार रुपए आमदनी हो जाती थी। कुवैत से आने के बाद उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त ली और इन गतिविधियों को अपने खेत पर आजमाया। पहले पहल सघन बागवानी अन्तर्गत 2 बीघा में नीम्बू के 110, आम के 10 पौधे एवं 1 बीघा में अमरूद के 350 पौधे लगाए। इससे वार्षिक आमदनी में इजाफा हुआ। कुल 1.55 लाख रुपए आमदनी बागवानी से एवं सब्जियों में बैंगन-0.50 बीघा, भिण्डी-2.00 बीघा, टमाटर एवं अन्य सब्जियों से 1 लाख रुपए वार्षिक आमदनी वर्तमान में प्राप्त हो रही है।

इसके साथ ही सिंचाई के लिए पूर्व में वाटर पम्प से 30 हजार रुपए वार्षिक खर्च आता था, पर उद्यान विभाग से सोलर पम्प की स्थापना के बाद अब इस राशि की बचत होने लगी। इसी प्रकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) के अन्तर्गत वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना कर उर्वरकों पर जो व्यय होता था वह भी बचा, क्योंकि अब जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। इससे सालाना 20 हजार रुपए की बचत होने लगी। नारायणलाल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत ड्रिप संयंत्र (बूंद-बूंद सिंचाई) कर बगीचे एवं सब्जियों में सिंचाई पानी की बचत भी की।

कृषक नारायणलाल कृषि एवं उद्यानिकी के साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। उन्होंने 5 भैंसें एवं 2 गाएं पाल रखी हैं, जिससे दुग्ध एवं अन्य उत्पाद से 1.50 लाख रुपए वार्षिक आमदनी हो रही है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट इकाई में वर्मी खाद बना रहे हैं।



ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-banswara news : in banswara the farms changed life of tribal cultivators
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: banswara news, farms changed life of tribal cultivators, national horticulture mission, vermi compost unit, prime minister agriculture irrigation scheme, drip plant, agriculture and horticulture, banswara hindi news, rajasthan hindi news, बांसवाड़ा समाचार, राजस्थान समाचार, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, banswara news, banswara news in hindi, real time banswara city news, real time news, banswara news khas khabar, banswara news in hindi
Khaskhabar Rajasthan Facebook Page:
स्थानीय ख़बरें

राजस्थान से

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved