चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब पुलिस
द्वारा 4 व्यक्तियों को गिरफ्तार करके जगदीश गगनेजा की हत्या केस सहित
निश्चित करके किये गए कत्ल के बहुत से मामलों को हल करने का ऐलान किया। इसे
मुख्य मंत्री ने आई.एस.आई द्वारा पाकिस्तान और अन्य देशों में अपने
नैटवर्क द्वारा राज्य की सदभावना को भंग करके अस्थिरता पैदा करने के लिए
बड़ी साजिश का खुलासा भी किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कैप्टन अमरिंदर
सिंह ने बताया कि चाहे राज्य सरकार ने आर.एस.एस के राज्य के उप प्रधान
ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा के कत्ल का केस सी.बी.आई को सौंप दिया था परंतु
राज्य पुलिस द्वारा दहशतगर्द गिरोह बेनकाब करके इस कत्ल के केस की गुत्थी
भी सुलझा ली गई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि उनकी सरकार बनने के
बाद दहशती गिरोह को काबू करने की यह आठवीं घटना है।
प्रेस
कान्फ्रेंस के दौरान पुलिस जांच और संदिग्धों से पूछताछ का जि़क्र करते
हुये मुख्यमंत्री ने बताया कि इन गिरफ्तारियों से बीते महीने मारे गए एक
अन्य आर.एस.एस नेता रवीन्द्र गुसाईं के कत्ल के केस को भी हल कर लिया गया
है। यह गिरफ्तारीयां जनवरी, 2016 से लुधियाना, खन्ना और जालंधर में लक्षित
कर किये गए कत्लों के बहुत से मामलों के साथ संबंधित हैं।
मुख्यमंत्री
ने खुलासा किया कि गिरफ्तार किये गए साजि़शकत्र्ताओं में धर्मेंद्र उर्फ
गुगनी नाम का एक गैंगस्टर भी शामिल है जो नाभा ज़ैल में बंद है और इसके साथ
गर्मख्यालियों और गैंगस्टरों के बीच सांठ-गाँठ का शक सही साबित होता है।
कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने विस्तार में जानकारी देते हुये कहा कि 4 साजि़शकारों से
की गई पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि वे विदेशों में विभिन्न स्थानों
पर मिले और उनको प्रशिक्षण दिया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि इन्होंने यह
भी खुलासा किया है कि वे पाकिस्तान और कुछ पश्चिमी देशों में
साजि़शकर्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए इनक्रिप्टिड (गुप्त संदेश)
मोबाइल सॉफ्टवेयर या एप भी प्रयोग करते थे। मुख्यमंत्री
ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आई.एस.आई की नजऱें हमेशा ही देश की
अमन-शांति को भंग करने और नौजवानों को गर्मख्याली के रास्ते पर डालने की
तरफ रही हैं। उन्होंने कहा कि सूबा सरकार किसी भी कीमत पर पंजाब की अमन
-शान्ति और सदभावना में विघ्न डालने की इजाज़त नहीं देगी।मुख्यमंत्री
ने कहा कि इन मामलों की जांच से यह बात सामने आई है कि लक्षित कर किये गए
कत्ल का मकसद सांप्रदायिक मतभेद पैदा करना था जिससे आई.एस.आई. अपनी भारत
विरोधी योजना में और आगे बढ़ सके क्योंकि पाकिस्तान और विदेशी धरती पर
पाकिस्तान की इस ख़ुफिय़ा एजेंसी के सक्रिय होनेके ठोस संकेत सामने आए हैं।तीन
संदिग्धों की पहचान जिंमी सिंह (जम्मू का निवासी जो कि हाल ही में
इंग्लैंड से कई वर्ष रहने के बाद वापिस लौटा था और एक हफ़्ता पहले दिल्ली
के इंद्रिरा गांधी हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया था, जगतार सिंह जौहल
उर्फ जग्गी (इंग्लैंड का नागरिक जिसकी हाल ही में शादी हुई थी और जालंधर
में पकड़ा गया था) धर्मेंद्र उर्फ गुगनी (लुधियाना के नज़दीक मेहरबान का
गैंगस्टर जो कि हत्यारों को हथियार स्पलाई करता था), के तौर पर हुई है।मुख्यमंत्री
के अनुसार आज बाद दोपहर काबू किये गए चौथा अपराधी जो कि बहुत से मामलों
में प्रमुख शूटर था, की पहचान फि़ल्हाल नहीं की जा सकती क्योंकि उससे
पूछताछ चल रही है और पुलिस के पास उसके विरूद्ध अह्म सबूत हैं।मुख्य
मंत्री ने डी.जी.पी. को यह निर्देश भी दिया है कि इन वारदातों का सुराग
लगाने वाली पुलिस टीम और भविष्य में ऐसे अहम सुराग निकालने वाले पुलिस
कर्मचारियों को ईनाम और सम्मान देने की रणनीति भी बनायी जाये।
डी.जी.पी.
ने हालांकि पंजाब के सीमावर्ती राज्य होने के कारण भविष्य में
अंतरराष्ट्रीय साजिशकारों द्वारा ऐसी घटनाओं के बिल्कुल ही न घटने की
संभावना को दरकिनार नहीं किया परंतु साथ ही पंजाब के लोगों को भरोसा भी
दिलाया कि वह पंजाब पुलिस की कोशिशों से सुरक्षित हाथों में हैं।डी.जी.पी.
ने कहा कि हत्यारो ने हरेक केस में कुछ न कुछ सुराग ज़रूर छोड़े थे जैसे
दुर्गा दास और ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा (जालंधर) केस में वही हथियार
इस्तेमाल किया गया था जो अमित शर्मा के मामले में लुधियाना में इस्तेमाल
किया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि जांच से यह भी उजागर होता था कि उसी तरह
का हथियार फरवरी, 2017 में डेरा सच्चा सौदा (खन्ना) के साथ संबंधित सतपाल
कुमार और उसके पुत्र की हत्या में इस्तेमाल किया गया जो बाद में जुलाई,
2017 में लुधियाना के ईसाई पादरी सुल्तान मसीह के कत्ल में इस्तेमाल कि या
गया और पिछले महीने आर.एस.एस. नेता रवीन्द्र गुसाईं केस में भी वही हथियार
इस्तेमाल किया गया था। वास्तव
में, उसी तरह के हथियार, 9 एम.एम., प्वाईंट 32 और प्वाईंट 30 बोर के
पिस्तौल ही जनवरी, 2016 में आर.एस.एस. शाखा मामले में और फरवरी, 2016 के
अमित अरोड़ा हत्या मामले में इस्तेमाल कि ये गये थे।
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