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राजभवन से टकराव : विधेयकों पर राज्यपाल की मनमर्जी के खि़लाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाएगी पंजाब सरकार- मुख्यमंत्री

Conflict with Raj Bhavan: Punjab government will go to Supreme Court against Governor whims on bills - Chief Minister - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहाकि जि़द्दी व्यवहार अपनाने वाले राज्य के राज्यपाल से लम्बित वैधानिक बिलों को पास करवाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। पंजाब विधानसभा के सदन में शुक्रवार को बहस में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहाकि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि नियुक्त किया हुआ राज्यपाल लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को जन हितैषी फ़ैसले लेने से रोकने के लिए नाइंसाफी का सहारा ले रहा है। उन्होंने कहाकि राज्यपाल की मनमर्जी कानूनी नज़रिए से टिक नहीं सकेगी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसको शुरू से रद्द कर दिया जाएगा। मान ने कहा कि राज्यपाल पंजाबियों को हल्के में ले रहे हैं। इस जि़द्दी रवैये के लिए उनको उपयुक्त सबक सिखाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहाकि जब तक इस मामले का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समाधान नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकार विधानसभा में कोई बिल पेश नहीं करेगी। उन्होंने राज्यपाल को स्पष्ट तौर पर कहाकि वह अपने अडिय़ल रवैये से पंजाबियों को धमकाना बंद करें।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह बहुत अजीब बात है कि राज्य के लोगों ने उनको चुना है परन्तु नियुक्त किये राज्यपाल राज्य सरकार के जन कल्याण के कामकाज में रुकावट पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि राज्य सरकार के पास लोक भलाई के मकसद के लिए बहस करवाने का अधिकार नहीं है। जन हितैषी बिल रुके पड़े हैं जिस कारण राज्य के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। राज्यपाल के इस तानाशाही रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अब सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की माँग की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार ने विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए तीन वित्तीय बिल पेश करने की प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि पंजाब के राज्यपाल ने इन बिलों को सहमति देने की बजाय बिल रोक कर पंजाबियों की पीठ में छुरा घोंपा। यह बहुत दुख की बात है कि राज्यपाल सैशन की कानूनी वैधता पर सवाल उठा रहे हैं। जबकि राज्य सरकार को लोगों की भलाई के लिए कोई भी फ़ैसला लेने की इजाज़त नहीं दी जा रही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल लोगों को बिजली सब्सिडी और अन्य भलाई पहलकदमियां पिछले तर्क पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पिछली सरकारों से कर्ज विरासत में मिला है। क्योंकि साल 1997 से 2022 तक राज्य में दो व्यक्तियों ने ही शासन किया था। राज्य सरकार कर्ज तो उतार देगी परन्तु केरला, पश्चिमी बंगाल और तमिलनाडु के समकक्ष की तरह पंजाब के राज्यपाल को भी राज्य सरकार के कामकाज में रोड़े नहीं अटकाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों के गलत कामों से कर्ज बढ़ जाता है। राज्यपाल द्वारा बजट सैशन के मौके पर भी विरोधी रवैया अपनाया गया था, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट से राहत लेने के लिए लोगों के टैक्स के 25 लाख रुपए ख़र्च करने पड़े थे। उन्होंने कहा कि यदि राज्यपाल यह हठ न अपनाते तो यह राशि बचायी जा सकती थी। यदि राज्य सरकार कुछ गलत करेगी तो राज्य के लोग उसे वोटों के मौके पर सजा देंगे। इसलिए, राज्यपाल को राज्य सरकार के कामकाज में अनावश्यक दख़ल देना नहीं चाहिए।
मुख्यमंत्री ने इसी तर्ज पर 15वीं विधानसभा का नौंवां सैशन बुलाने के लिए 23 नवंबर, 2019 को समकालीन संसदीय मामलों के मंत्री ब्रह्म मोहिन्दरा की तरफ से लिखा एक पत्र भी विधानसभा में पेश किया। उन्होंने कहाकि यह पहली बार नहीं है कि इस तरह का सैशन बुलाया गया है परन्तु राज्यपाल इसमें रुकावटें पैदा कर रहे हैं। इसको सहन नहीं किया जाएगा और हम राज्य और यहाँ के लोगों का बनता हक दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।
मुख्यमंत्री ने राज्य में पदक लाने के लिए एशियाई खेलों के दल का हिस्सा रहे खिलाडिय़ों को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य में खेल को प्रफुल्लित करने के लिए बड़े प्रयास किए हैं। इसी का नतीजा है कि पंजाबियों ने हाल ही में समाप्त हुई एशियन खेलों में 19 पदक जीते हैं, जो कि अब तक एशियाई खेलों में राज्य के सबसे अधिक पदक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब का केंद्र सरकार पर पेट्रोल- डीज़ल सेस का 170 करोड़ रुपए का बकाया है। उन्होंने गुरूवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस मसले को उठाया था और उनसे 250 करोड़ रुपए की माँग की थी। केंद्रीय मंत्री ने राज्य को 80 करोड़ रुपए एडवांस देने के लिए सहमति दे दी है जो कि राज्य की भलाई और विकास के लिए सूझबूझ से ख़र्च किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि अमृतसर आने वाले श्रद्धालुओं और सैलानियों की सुविधा के लिए पवित्र शहर में स्कायी ट्रांसपोर्ट सेवा शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि शहर के महत्वपूर्ण स्थान जोडऩे के लिए 30-30 यात्रियों के सामर्थ्य वाली केबल कारें शुरू की जाएंगी। यह ट्रांसपोर्ट सेवा वाघा बार्डर को भी जोड़ देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिसंबर के महीने गुरू गोबिन्द सिंह जी के माता जी और साहिबज़ादों को शहीद कर दिया गया था जिस कारण यह समूची मानवता के लिए शोक का महीना है। राज्य सरकार 20 दिसंबर से 30 दिसंबर तक कोई भी खुशी और जश्न का समागम आयोजन नहीं करेगी। दसमेश पिता के परिवार की तरफ से दिए अतुल्नीय बलिदान के प्रति राज्य सरकार की यह विनम्र सी श्रद्धांजलि होगी।

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