- प्रदीप द्विवेदी -
मुंबई। अनेक किन्तु-परन्तु की सियासी चर्चाओं के बाद अंततः देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं। इसके बाद यह माना जा रहा है कि अब सब कुछ ठीक हो गया है। लेकिन.... असली सियासी खेला तो अब शुरू हुआ है।
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के लिए बड़ा सवालिया निशान लगा दिया था, लेकिन सियासी जोड़-तोड़ में एक्सपर्ट मोदी टीम ने शिवसेना को तोड़ा और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया।दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त मोदी टीम जहां शिवसेना को ढाई साल देने को तैयार नहीं थी, वहीं उसे पांच साल देने पड़े। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरअसल.... मोदी टीम को उद्धव ठाकरे को ढाई साल देने में कोई दिक्कत नहीं थी, परन्तु ऐसा करके वह शिवसेना को ताकतवर नहीं बनाना चाहती थी, अब जब महाराष्ट्र की सियासी ताकत एक बार फिर से बीजेपी के पास आ गई है, तो वह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर काहे शिवसेना को फिर से ताकतवर बनाएगी?
यही वजह है कि.... ढाई साल एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने वाली बीजेपी अब उन्हें छह माह भी देने को तैयार नहीं हुई! अभी तत्काल कोई गलत सियासी मैसेज बीजेपी नहीं देना चाहती है, इसलिए एकनाथ शिंदे को हर कोशिश करके साथ लिया गया है, लेकिन समय के साथ उन्हें वह जगह हासिल नहीं होगी जो वह चाहते हैं।
बीजेपी शिंदे को इसलिए भी साथ रखना चाहती है क्योंकि उनको उद्धव ठाकरे से मुकाबले के लिए सियासी ढाल चाहिए। शिवसेना से बीजेपी को जो खतरा है वह यह है कि- शिवसेना एकमात्र पार्टी है, जिसके वोट बैंक का नेचर बीजेपी से मिलता है, यदि शिवसेना ताकतवर होती है तो बीजेपी को शिवसेना की शर्तों पर काम करना होगा। ऊपर से भले ही एकनाथ शिंदे सहज दिख रहे हों, लेकिन आने वाला समय उनके लिए चुनौतीपूर्ण है।
आज के सियासी हालात में महाराष्ट्र में बीजेपी को तोड़ना आसान नहीं है, लेकिन शिवसेना को तोड़ा जा सकता है, यह बात एकनाथ शिंदे भी अच्छी तरह से जानते हैं और यही वजह है कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार किया।
यदि वे किसी और को उपमुख्यमंत्री बना देते तो शिवसेना में एक नया पॉलीटिकल पावर खड़ा हो जाता। देखना दिलचस्प होगा कि- बीजेपी एकनाथ शिंदे को किस तरह से कमजोर करती है और शिंदे किस तरह से अपना सियासी बचाव करते हैं।
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