मंडला। मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रामनगर में मंगलवार को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस और तीन दिवसीय आदि उत्सव के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक आंदोलन का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को अपनी बेटियों को सम्मान देना होगा और सुरक्षित माहौल के लिए बेटों को ज्यादा जिम्मेदार बनाना होगा।
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मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा दिए जाने का कानून बनाया है, समाज और परिवार की जिम्मेदारी है कि बच्चियों का मान-सम्मान बना रहे। साथ ही लडक़ों को भी परिजनों को नसीहत देते रहना चाहिए। दिल्ली में बैठी सरकार जनता की आवाज सुनती है और इसी के चलते यह कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा, इस स्थिति में बेटियों की सुरक्षा हमारे लिए बहुत मुश्किल काम नहीं होगा। हमें इसके लिए सामाजिक आंदोलन शुरू करने की जरूरत है।
गांव में स्कूल और शिक्षक हैं, फिर भी बच्चे अनपढ़
पीएम मोदी ने कहा, महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने को जनधन, वनधन और गोवर्धन के जरिए पूरा किया जा सकता है। मोदी ने कहा, जनप्रतिनिधियों को गांव को सक्षम और दक्ष बनाने के लिए प्रयास करना होंगे। गांव में विद्यालय, शिक्षक सब हैं, फिर भी बच्चे अनपढ़ रह जाते हैं तो यह हमारा कसूर है। इसलिए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि स्कूल न जाने वाले बच्चों को विद्यालय भेजें। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करें। मिट्टी जब सेहतमंद होगी, तब खेती किसान के लिए फायदे का धंधा बनेगी।
गरीबों को सशक्त बनाने के लिए केंद्र-राज्य सरकार प्रयासरत
प्रधानमंत्री ने गोंडी भाषा में स्थानीय लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें गरीब, आदिवासी व पिछड़े वर्ग को सशक्त बनाना चाहती हैं, इसके लिए प्रयास जारी है, अनेक योजनाएं संचालित हैं। उन्होंने कहा कि शून्य राशि पर जनधन के खाते खोले गए हैं, किसानों को अपने खेतों की मेड़ पर बांस का लगाकर आर्थिक अर्जन करना चाहिए, वनधन से किसान और गोवर्धन अर्थात गाय व भैंस पालन के जरिए ग्रामीण को सशक्त बनाया जा सकता है। गांव की आर्थिक प्रगति होने पर किसान और ग्रामीणों में संपन्नता आएगी।
अब बांस को पेड़ नहीं, बल्कि घास माना जाएगा
मोदी ने आगे कहा कि जनजातीय भाइयों को बांस काटने की अनुमति नहीं होती, वे अगर काटते हैं तो उनके खिलाफ वन विभाग का अफसर कार्रवाई करता है, इसलिए सरकार ने तय किया है कि बांस को पेड़ नहीं, बल्कि घास की श्रेणी में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कहा, हमारे देश में विदेशों से बांस मंगाया जाता है, अगर हमारा किसान अपने खेतों की मेड़ पर बांस लगाएं तो एक तरफ जहां उन्हें रोजगार मिलेगा, यह किसानों की हालत बदल सकता है।
गोंडी भाषा में किया आदिवासियों का स्वागत
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