भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मंदसौर के किसान गोलीकांड और नर्मदा नदी के तट पर हुए पौधरोपण में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था, मगर मंत्रियों के बयानों ने कमलनाथ सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं, क्योंकि गृह और वन मंत्री के बयानों ने पूर्ववर्ती सरकार का परोक्ष रूप से बचाव जो किया है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ही सरकार पर सवाल उठा दिए हैं। राज्य सरकार के दो मंत्रियों के बयान कांग्रेस की मंशा के अनुरूप नहीं रहे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भाजपा विधायक हर्ष विजय गहलोत के सवाल पर गृहमंत्री बाला बच्चन ने लिखित में जवाब देते हुए कहा था कि मंदसौर के पिपलिया मंडी में अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने और सरकार व निजी संपत्ति की रक्षा के लिए पुलिस ने आत्मरक्षार्थ गोली चलाई थी। गोली चलाने का आदेश मल्हारगढ़ के तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) श्रवण भंडारी ने दिया था। वहीं नर्मदा नदी के तट पर हुए पौधरोपण के मामले में सरकार के वन मंत्री उमंग सिंघार ने पिछली सरकार को क्लीन चिट दे दी। साथ ही परोक्ष घोटाले की बात को नकारा।
राज्य सरकार के दो मंत्रियों के जवाब पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एतराज जताया है। उन्होंने कहा, राज्य के गृहमंत्री ने मंदसौर के किसानों पर गोली चलने की घटना को सही ठहरा दिया, यह तो हम स्वीकार नहीं कर सकते, वहीं वन मंत्री ने बयान दे दिया कि नर्मदा किनारे जो पेड़ लगाए गए वे सही लगाए गए, भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। मैं 3100 किलोमीटर पैदल चला हूं, यह भी पता लगाएं कि वे (वनमंत्री) कितना पैदल चले हैं।
यह तो भाजपा को एक तरह से क्लीनचिट ही दे दी, सवाल उठता है कि क्या जरूरत है मंत्री को यह तय करने की। एक तरफ जहां दिग्विजय सिंह मंत्रियों के जवाबों से असंतुष्ट हैं तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, उन्हें किसी के क्लीनचिट की जरूरत नहीं है। मंदसौर की घटना उनके सीने में फफोले की तरह है, कोई भी मुख्यमंत्री नहीं चाहता कि उसके काल में ऐसा हो, मगर कई बार परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि ऐसी घटना हो जाती है।
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