रेवाड़ी। हरियाणा की एक महिला आईएएस अधिकारी ने अपने एक सीनियर अफसर पर यौन शोषण का सनसनीखेज आरोप लगाया है। महिला आईएएस ने रविवार को फेसबुक पोस्ट लिखकर अपने साथ हो रहे यौन शोषण का खुलासा किया है। शिकायतकर्ता महिला अफसर के मुताबिक, वह अब तक राष्ट्रपति कार्यालय और भारत सरकार को 53 शिकायती मेल लिख चुकी हैं, लेकिन अब तक आरोपी अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हालांकि उन्होंने पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। महिला आईएएस ने रविवार को एक के बाद एक फेसबुक पर सात पोस्ट लिखकर अपने यौन शोषण का मुद्दा उठाया है। फेसबुक पोस्ट में उन्होंने शिकायती मेल, विभागीय दस्तावेज भी शेयर किए हैं। शिकायतकर्ता महिला आईएएस के मुताबिक, 10 मई को उन्होंने रेवाड़ी के कोसली तहसील में एसडीजेएम की अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपना बयान और डीवीडी सहित अन्य दस्तावेज बतौर सबूत जमा कर दिए थे।
शिकायत करने वाली महिला आईएएस अधिकारी पशुपालन विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त हैं, जबकि उन्होंने सुनील के गुलाटी नाम के जिस अफसर पर यौन शोषण का आरोप लगाया है, वह इसी विभाग में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हैं। अपने फेसबुक पोस्ट में शिकायतकर्ता महिला आईएएस ने कहा है कि सुनील गुलाटी उनको बेवजह तंग करते हैं। गाहे-बगाहे अपने कार्यालय में बुलाकर घंटों बिठा कर रखते हैं और उनको अक्सर धमकाया जाता है।
सोशल साइट फेसबुक पर पोस्ट में 28 वर्षीय महिला अधिकारी ने घटना का ब्योरा देते हुए आरोप लगाया कि उसे 22 मई को वरिष्ठ पुरुष अधिकारी ने धमकाया। महिला ने कहा कि उसे ‘आधिकारिक फाइलों पर विपरीत टिप्पणियां’ लिखने के लिए परेशान किया गया। उन्होंने लिखा, ‘उन्होंने मुझसे सवाल किया कि मैं फाइलों पर क्यों लिख रही हूं कि विभाग ने गलत किया है।’
उन्होंने आगे कहा कि वरिष्ठ अधिकारी ने कथित तौर पर यह कहते हुए धमकी दी कि अगर मैंने आधिकारिक फाइलों पर प्रतिकूल टिप्पणियां लिखना बंद नहीं किया तो वह उसकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) खराब कर देगा।
हालांकि आरोपी अधिकारी ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है और कहा कि महिला अधिकारी को सलाह दी गई थी कि उन फाइलों में दोष न ढूंढें, जिन्हें अन्य अधिकारियों से सभी आवश्यक मंजूरी मिली है। महिला अधिकारी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वरिष्ठ अधिकारी ने 31 मई को उसे बुलाया और अपने स्टाफ को निर्देश दिया कि किसी अन्य व्यक्ति को कमरे में प्रवेश नहीं दिया जाए। उन्होंने लिखा, ‘उसने मुझे यह बताने के लिए कहा कि मैं किस प्रकार का काम करना चाहती थी, क्या मैं विभागीय काम करना चाहती थी या टाइम पास काम करना। और फिर उन्होंने मुझे फाइलों पर प्रतिकूल टिप्पणियां लिखना बंद करने के लिए कहा, उसने मुझे बताया कि एक नव विवाहित दुल्हन की तरह उसे सब कुछ समझाया जाना चाहिए, और वह मुझे उसी तरह समझा रहे थे।
उनका व्यवहार अनैतिक लग रहा था।’ महिला ने आगे दावा किया कि वरिष्ठ अधिकारी ने उसे 6 जून को अपने कार्यालय में परेशान किया। उसे 5 बजे बुलाया गया और 7.39 बजे वहां रोका। महिला ने लिखा, ‘मैं उसके सामने टेबल के दूसरी तरफ बैठी थी। उसने मुझे उठने और अपनी कुर्सी के करीब आने के लिए कहा। जब मैं टेबल के दूसरी तरफ पहुंची, तो उसने मुझे कंप्यूटर सिखाने का दिखावा किया।
मैं अपनी कुर्सी पर वापस चली गई। कुछ समय बाद, वह उठा। पेपर ढूंढने का नाटक करते हुए वह मेरी कुर्सी के करीब आया और उसे धक्का दिया।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें सीनियर के कुछ सहयोगियों ने भी धमकी दी, जबकि एक और वरिष्ठ महिला अधिकारी ने उन्हें लिखित में कोई शिकायत दर्ज ना कराने की चेतावनी दी। महिला अधिकारी ने यह भी दावा किया कि उसकी पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई है और उसने पूरी घटना के संबंध में भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय में एक ई-मेल भेजा था।
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