जींद। युवा नशा छोड़कर समाज व राष्ट्र हित में अपना योगदान दें। यह कहना है स्वास्थ्य विभाग जींद के सिविल सर्जन डा गोपाल गोयल एवं उप-सिविल सर्जन दन्तक डा रमेश पांचाल का। वे जींद स्थित पोली क्लीनिक, आईटीआई एवं विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित कार्यक्रमों में उपस्थित स्टाफ एवं बच्चों व अन्य लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।
उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा के दिशा-निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग जीन्द के सौजन्य से तम्बाकू निषेध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पोली क्लीनिक में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सर्जन डाॅ. गोपाल गोयल ने मुख्यतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने कहा कि तम्बाकू सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं जो व्यक्ति को न केवल अन्दर से खोखला करता है बल्कि तम्बाकू का सेवन दिमाग, मुंह, गला के साथ साथ शरीर के सभी अंगों पर बुरा असर डाला है। तम्बाकू का सेवन न करने की शपथ भी दिलाई गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कार्यक्रमों में उप-सिविल सर्जन दन्तक डा रमेश पांचाल, उप सिविल सर्जन डा पालेराम कटारिया, डा श्याम सुन्दर, डा दीपिका ढाण्डा, डा रिम्पी, आईटीआई प्रिंसिपल अनिल गोयल व लोक सम्पर्क विभाग हरियाणा के रिटायर्ड डीआईपीआरओ सुरेन्द्र वर्मा, फार्मासिस्ट रेणू कौशिक, वीरेन्द्र लैब तकनीशियन, इन्द्रबाला ने भी विशेष तौर से भाग लिया।
उप-सिविल सर्जन (दन्तक) डा. रमेश पांचाल ने आईटीआई जीन्द में कहा कि हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 में तंबाकू निषेध दिवस का मतलब ‘बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना‘है। इस दिवस का मकसद लोगों को तंबाकू से होने वाले खतरों के बारे में बताना और जागरूक करना है।
दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की मौत तंबाकू सेवन से हो जाती है।
इस दिवस का महत्व और उद्देश्य लोगों को खासतौर पर युवाओं को तंबाकू से होने वाले नुकसान से बचाना और उन्हें इस बारे में शिक्षित करना है। आजकल खुद युवाओं में तम्बाकू उत्पाद जर्दा, खैनी चबाने का चलन भी बढ़ रहा है जिसके कारण मुंह में छाले आदि बने रहते हैं जोकि जल्द ही मुंह व गले के कैंसर का कारण बनती है।
इस दौरान उन्होंने उपस्थित लगभग 325 छात्र-छात्राओं को बताया कि तम्बाकू व धुम्रपान से गले का कैंसर, मुहँ का कैंसर, फेफडों का कैंसर व हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों की ज्यादा संभावना रहती है। बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू तथा हुक्के का सेवन खतरनाक होता है। धुम्रपान करने वाला व्यक्ति, जिसको फर्स्ट हैण्ड स्मोकिंग भी कहा जाता है वह अपने स्वास्थ्य का नुकसान तो करता ही है साथ ही आसपास के लोगों जिसको सेकिंड हैण्ड स्मोकिंग भी कहा जाता है उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
धुम्रपान वायु प्रदूषण का भी मुख्य कारण बनता है। सार्वजनिक स्थानों जैसे स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान, हस्पताल, सचिवालय, कोर्ट परिसर आदि पर धुम्रपान पूर्णतया वर्जित है, ऐसे स्थानों पर धुम्रपान करते पकड़े जाने पर 200 रूपये जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही उन्होंने बताया कि शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर दायरे में तम्बाकू-बीड़ी-सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा या कोई भी नशीले उत्पाद बेचना व धुम्रपान करना गैर-कानूनी है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहता है।
इस दौरान पोलीक्लीनिक जीन्द से डाॅ. श्याम सुन्दर, डाॅ. दीपिका ढाण्डा, डाॅ. रिम्पी, वीरेन्द्र लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट रेणु कौशिक, इन्दुबाला क्लर्क व आईटीआई से प्रिंसिपल अनिल गोयल, सुरेन्द्र रेढू, तथा स्वास्थ्य विभाग से देवेन्द्र शर्मा, विनोद, बलराज, ईश्वर ढाण्डा आदि शामिल रहे।
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