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बेटी बचाने के लिए देश के किस जिले में पड़े सबसे ज्यादा छापे, जाने यहां

The highest number of raid in the district of the country to save daughter, go here - Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़ । हरियाणा के जिला सोनीपत में बेटी बचाने के लिए देश में सबसे ज्यादा 40 छापे पड़े। अब 21 अंर्तराज्जीय छापे मारनेे और गर्भ में ही लिंग जांच करने वालों को पकडऩे के लिए जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल कर बेहतरीन प्रदर्शन करने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला प्रशासन के एक प्रवक्ता ने बताया कि जिला सोनीपत के उपायुक्त के. मकरंद पांडुरंग को यह सम्मान बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की तीसरी वर्षगांठ पर राजस्थान के झूंझनू में 8 मार्च को आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के उप-सचिव अशोक कुमार यादव ने उपायुक्त को एक पत्र भेजकर यह जानकारी दी है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जिला सोनीपत ने बेहतरीन कार्य किया है। जिला सोनीपत को पूर्व गर्भाधान एवं जन्म पूर्व लिंग जांच को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू किया है। उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन कदम है और इसी कदम के चलते यह जिला देश के शेष जिलों के लिए भी अनुकरणीय है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में अलग-अलग ढंग से योगदान देने के लिए इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विभिन्न राज्यों के 9 अन्य जिलों को भी सम्मानित करेंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के सोनीपत जिला को मिली इस बेहतरीन उपलब्धि पर उपायुक्त के. मकरंद पांडुरंग ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता के मागदर्शन, जिला की जनता, जिला की स्वास्थ्य विभाग की टीम, महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम, शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग जिला न्यायवादी एवं उसकी टीम को दिया है। उन्होंने कहा कि सोनीपत को बेटियों की गर्भ में हत्या के लिए काफी निंदा का सामना करना पड़ रहा था। वर्ष 2012 में एक हजार लडक़ों के पीछे लड़कियों की संख्या 810 थी, जब वर्ष 2014 में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू हुआ तो जिला का लिंगानुपात एक हजार लडक़ों के पीछे 830 था। लिंगानुपात के मामले में वर्ष 2014 तक जिला सोनीपत सबसे पिछड़े जिलों में शामिल था और अब वर्ष 2015 में 867, वर्ष 2016 में 902 और अब वर्ष 2017 में यह बढक़र 937 हो गया है। उन्होंने बताया कि जिला में वर्ष 2012 के विरूद्घ 127 बिंदूओं की बढ़ौतरी हुई है। यही नहीं वर्ष 2018 की भी बेहतरीन शुरूआत की गई है। जनवरी माह में एसआरबी (जन्म के समय लिंगानुपात) एक हजार लडक़ों के मुकाबले एक हजार दर्ज किया गया है, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैं। लिंग जांच व कन्या भ्रूण हत्या करने वालों के खिलाफ रेड करने की मुख्य प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि प्रभावी और खुफिया सूचना तंत्र से जानकारी हासिल करना, सभी विभागों से तालमेल कर रेड करना, आरोपियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करवाना, प्रभावी जांच करना और पूरे गैंग को नामजद करना, प्रभावी तरीके से न्यायालय में पैरवी और सजा दिलवाना, कोई आरोपी छूट न पाए इसके लिए प्रयास करना शामिल है।
इसी प्रकार, जन्म के समय आधार पंजीकरण में भी 100 प्रतिशत सफलता हासिल करने में सोनीपत जिला बन गया है और ऐसे में इन आंकड़ों में किसी भी तरह की लापरवाही की गुंजाईश नहीं रहती। उन्होंने बताया कि जिला में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत गंभीरता से कदम उठाए गए हैं और लिंग जांच करने वालों के खिलाफ सख्ती शुरू की गई हैं। उन्होंने बताया कि लगातार कार्रवाई की गई और सोनीपत जिला ने यूपी और दिल्ली में सबसे ज्यादा 21 अंतरराज्जीय छापे मारकर लिंग जांच एवं कन्या भ्रूण हत्या वालों के खिलाफ कार्रवाई की। इनमें वर्ष 2016 में पीएनडीटी एक्ट के तहत 14 मामले दर्ज किए गए और वर्ष 2017 में भी 14 मामले पकड़े गए तथा वर्ष 2016 व 2017 में 11 छापे एमटीपी एक्ट के तहत मारी गई।
उन्होंने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या करने वालों के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करने के बाद वर्ष 2016 में स्थिति में कुछ सुधार हुआ और एक जनवरी से दिसंबर तक लिंगानुपात 902 दर्ज किया गया। गंभीरता से उठाए गए कदमों का असर वर्ष 2017 में जनवरी माह से ही दिखाई देने लगा और जनवरी 2017 में लिंगानुपात 974 पर जा पहुंचा। फरवरी में 928, मार्च में 934, अप्रैल में 961, मई में 906, जून में 924, जुलाई में 914, अगस्त में 984, सितंबर में 890, अक्टूबर में 959 , नवंबर में 936 और दिसंबर में 930 लड़कियां प्रति एक हजार लडक़ों के पीछे पैदा हुई और 12 महीने के लिंगानुपात की 937 पर जा पहुंची।
प्रवक्ता ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी संस्थागत डिलीवरी और पैदा होने वाले बच्चों का 100 प्रतिशत आधार रजिस्ट्रेशन। जिला के विभिन्न अस्पतालों में प्रतिमाह 2500 और एक साल में 30 हजार डिलीवरी की औसत है। ऐसे में अगर संस्थागत डिलीवरी हो और 100 प्रतिशत आधार रजिस्ट्रेशन हो तो आंकड़ों में फर्क नहीं आ सकता। यही काम किया गया और मौजूदा समय में 99 प्रतिशत से अधिक संस्थागत डिलीवरी पर जोर दिया गया है। गर्भवति महिलाओं को एंबुलेंस मुहैया करवाने में भी सोनीपत जिला अव्वल है। इसके पहले संस्थागत डिलीवरी की प्रतिशत दर 70:30 या 80:30 तक ही थी और इसमें शिशु व माता मृत्यु दर भी काफी थी।

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