चण्डीगढ़। हरियाणा सरकार ने तुरंत प्रभाव से प्रदेश में नये पायरोलिसिस प्लांट्स की स्थापना पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस सम्बन्ध में अध्ययन पूरा होने तक प्रदेश में कोई भी नया पायरोलिसिस प्लांट स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे प्लांटों द्वारा होने वाले प्रदूषण के सम्बन्ध में आसपास रहने वाले लोगों से सीएम विंडो और जिला प्रशासन के माध्यम से सार्वजनिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं और इन प्लांटों में पायरोलिसिस रिएक्टर के अनुचित प्रचालन के साथ-साथ इनके द्वारा किए गये अपर्याप्त प्रदूषण उपशमन तथा सुरक्षा उपायों के कारण कई दुर्घटनाएं भी हुई हैं।
उन्होंने बताया कि इन शिकायतों में ऐसे प्लांटों से होने वाले वायु और जल प्रदूषण तथा दुर्गंध फैलने का तर्क दिया गया है, क्योंकि ये प्लांट हवा में कार्बन के कण छोड़ते हैं और मीथेन गैस बनने के कारण इनसे दुर्गंध भी फैलती है। यदि परियोजना प्रस्तावक द्वारा उचित नियंत्रण उपाय न किए जाएं तो ऐसे प्लांटों से उत्सर्जित कार्बन के कण मानव श्वसन तंत्र के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय के दौरान प्रदेश में बेकार रबड़ टायरों से फ्यूल ऑयल निकालने के लिए पायरोलिसिस प्रोसैस का इस्तेमाल करने वाली कई इकाइयां स्थापित हुई हैं। प्रदेश में लगभग 82 पायरोलिसिस प्लांट हैं। इस समय ये प्लांट मुख्यत: जींद, भिवानी, पंचकूला, कैथल, महेन्द्रगढ़, सोनीपत, झज्जर, यमुनानगर, करनाल, फतेहाबाद, हिसार और अम्बाला जिलों में स्थित हैं। टायर और रबड़ उत्पादों के पायरोलिसिस से लो ग्रेड ऑयल, पायरो गैस, कार्बन ब्लैक और स्टील का उत्पादन होता है। आग के खतरों, महीन कार्बन कणों के उत्सर्जन और दुर्गंध के कारण ये प्लांट पर्यावरण और सुरक्षा की दृष्टि से भी चिंताजनक हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि 25 मई, 2018 को हुई बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों की बैठक के दौरान इन प्लांटों द्वारा उत्सर्जित किए जा रहे प्रदूषण और इनके के विरूद्घ प्राप्त हुई शिकायतों पर चर्चा की गई। बैठक में उपस्थित सभी क्षेत्रीय अधिकारियों का मानना था कि अधिकतर पायरोलिसिस प्लांट पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी मानक प्रचालन प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके बाद 8 जून, 2018 को हुई बोर्ड की बैठक में प्रदेश में नये पायरोलिसिस प्लांट्स की स्थापना पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, प्रदेश में ऐसी इकाइयों की अवैध स्थापना को रोकने के उद्देश्य से समयबद्घ ढंग से एक अध्ययन भी करवाने का निर्णय लिया गया।
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