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नईदिल्ली। श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट के चुनाव परिणाम ने बीजेपी सरकार को आईना दिखा दिया है। अपनों से और जनता से सियासी ठगी का नतीजा है कि बगैर विधायक बने राजस्थान सरकार में मंत्री बनाए गए बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी चुनाव हार गए हैं।
दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी कार्यकर्ता जोश में थे, जहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के समर्थकों को उम्मीद थी कि राजे मुख्यमंत्री बनेंगी। वही किरोड़ीलाल मीणा के समर्थक मान के चल रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन....मोदी टीम ने पूरी सियासी तस्वीर ही बदल डाली।
नतीजा मंत्रिमंडल के गठन से बीजेपी के पुराने और वरिष्ठ नेताओं को तगड़ा सियासी झटका लगा।
यही नहीं, चुनाव के दौरान रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल के रेट आदि को लेकर जो जुमले उछाले गए थे, सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने नकार दिया।
जनता को भी समझ में आ गया कि वह एक बार फिर चुनावी जुमलों का शिकार हो गई है।
सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो यह है कि राजस्थान की सरकार केंद्र के निर्देशों पर चल रही है। लेकिन, हारने के बाद इसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भजनलाल पर डाल दी गई है, जबकि इसके का कारण मोदी टीम के एकतरफा निर्णय हैं।
याद रहे, मोदी टीम की ओर से चुनाव जीतने के लिए तमाम दांव खेले गए। सियासी नैतिकता को एक ओर रख कर चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बना दिया। लेकिन, सारे दांव ढेर हो गए और कांग्रेस के रुपिंद्र सिंह कुन्नर ने 11000 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज करवा दी है।
इस हार के बाद सुरेंद्रपाल सिंह टीटी ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पद से इस्तीफा दे दिया है। सीएम भजनलाल शर्मा ने राज्यपाल कलराज मिश्र को टीटी का इस्तीफा भेज दिया, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि उन्हें मंत्री बने हफ्ताभर ही हुआ था। उन्होंने तो अब तक कार्यभार भी नहीं संभाला था।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन नतीजों ने मोदी टीम के लिए सियासी खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के लिए राजस्थान की सारी सीटें जीतने की बहुत बड़ी चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी 2019 में जीती सारी सीटें फिर से कैसे जीत पाती है?
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