नई दिल्ली, । दिल्ली पुलिस ने दो
लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही पश्चिमी दिल्ली में फर्जी वीजा प्रदाताओं के
एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसने करीब 300 लोगों को ठगा
था। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों की पहचान राजस्थान निवासी गोगराज उर्फ रिजवान
(31) और हरियाणा निवासी सुशील उर्फ अंकित (23) के रूप में हुई है। ये दोनों
मध्य पूर्व में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को अपना निशाना बनाते थे।
पिछले चार महीनों में उनके द्वारा लगभग 300 लोगों को ठगा गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पुलिस
ने कहा कि गिरोह का पीड़ितों का मेडिकल परीक्षण कराने के लिए एक
डायग्नोस्टिक सेंटर के साथ भी गठजोड़ था, ताकि वे उन्हें वास्तविक दिखा
सकें।
पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) घनश्याम बंसल ने कहा, "मामला पुलिस
के संज्ञान में तब आया जब एक शिकायतकर्ता अन्य पीड़ितों के साथ सुभाष नगर
पुलिस चौकी पर आया। उन्होंने राजौरी गार्डन पुलिस स्टेशन में एक संयुक्त
शिकायत दर्ज की, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया।"
अधिकारी ने कहा,
"दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पूरे सिंडिकेट का भंडाफोड़
करने के लिए अन्य सह-आरोपियों की तलाश की जा रही है। आरोपी मीट वीजा के नाम
से सुभाष नगर में फर्जी वीजा कंपनी चलाते थे।"
डीसीपी ने कहा कि
आरोपी सोशल मीडिया और ऑनलाइन विज्ञापनों के जरिए मिडिल ईस्ट में नौकरी
दिलाने का झांसा देकर पीड़ितों को फंसाते थे। जब कोई दिलचस्पी दिखाता तो वे
उसे सुभाष नगर स्थित अपने कार्यालय बुला लेते। इसके बाद वे अपना पासपोर्ट
और भुगतान का हिस्सा ले लेंगे। पूरी प्रक्रिया को वास्तविक बनाने के लिए
उन्होंने एक डायग्नोस्टिक सेंटर के साथ एक लिंक स्थापित किया था, जहां
आवेदकों का मेडिकल परीक्षण किया जाता था।
बंसल ने कहा, "पासपोर्ट
पर मुहर लगाने के लिए या तो हाथ से या कूरियर के माध्यम से नेपाल भेजा गया
था। मुहरबंद वीजा सौंपने के बाद शेष भुगतान लिया गया था। पीड़ितों को पता
चलेगा कि उनके साथ हवाईअड्डे के आव्रजन काउंटर पर ही धोखा दिया गया है।"
--आईएएनएस
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