नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने 26 जून को सात विधानसभा क्षेत्रों और तीन लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव के नतीजे घोषित किए। तीन लोकसभा सीटों में से दो में उत्तर प्रदेश में रामपुर और आजमगढ़ शामिल हैं, दोनों को समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ माना जाता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सपा की दोनों सीटों पर कब्जा कर लिया है। रामपुर में भाजपा के घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी मोहम्मद आसिम राजा को सीधे मुकाबले में 42,192 मतों के अंतर से हराया। आजमगढ़ में भाजपा, सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने 8,679 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
निरहुआ को जहां 3,12,768 वोट मिले, वहीं सपा प्रत्याशी धर्मेद्र यादव को 3,04,089 वोट मिले। बसपा के शाह अलीम उर्फ गुड्ड जमाली को 2,66,210 वोट मिले। इन सीटों पर सपा की हार को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
विशेष रूप से, आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर क्रमश: पार्टी के दिग्गज नेता अखिलेश यादव और आजम खां थे। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफा देने के बाद इन सीटों पर उपचुनाव कराना पड़ा था।
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने रामपुर और आजमगढ़ के उपचुनाव परिणामों के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के दौरान, अधिकांश उत्तरदाताओं ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम 2024 के लोकसभा चुनावों का ट्रेलर हैं।
सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, 65 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि इन परिणामों को इस बात के संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिए कि 2024 में होने वाले अगले आम चुनावों के दौरान देश में क्या होने की संभावना है। हालांकि, सर्वेक्षण में भाग लेने वालों में से 35 प्रतिशत इस भावना से सहमत नहीं थे।
दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण के दौरान, जबकि एनडीए के 77 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि ये परिणाम 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए ट्रेलर हैं, इस मुद्दे पर विपक्षी समर्थकों की राय विभाजित थी। जबकि 55 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने कहा कि रामपुर और आजमगढ़ में उपचुनाव के परिणाम बताते हैं कि भगवा पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कड़ी प्रतिस्पर्धा की संभावना नहीं है, 45 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने इस भावना को साझा नहीं किया।
सर्वेक्षण में इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक समूहों की राय में अंतर का पता चला। सर्वेक्षण के दौरान, जबकि 77 प्रतिशत उच्च जाति के हिंदू (यूसीएच), 71 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 67 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (एसटी) ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम 2024 के लोकसभा चुनावों के संभावित परिणाम का संकेत हैं। 76 प्रतिशत मुसलमानों ने पूरी तरह से अलग विचार व्यक्त किया और कहा कि ये परिणाम देश में अगले आम चुनावों के संभावित परिणाम का कोई संकेतक नहीं हैं।
वहीं, इस मुद्दे पर अनुसूचित जाति (एससी) के मतदाताओं की राय बंटी हुई थी। जबकि 55 प्रतिशत एससी उत्तरदाताओं ने कहा कि उपचुनाव परिणाम संकेत देते हैं कि भाजपा को 2024 के आम चुनावों में जीत की उम्मीद है, 45 प्रतिशत ने अपने विचारों को साझा नहीं किया।
--आईएएनएस
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