नई दिल्ली। उच्च मूल्य की नकदी का पता लगाने और डिजिटल भुगतान को अनिवार्य करने के मकसद से वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है, जिस पर अगर आगामी बजट में अमल किया गया तो सालाना 10 लाख रुपए की नकदी की निकासी पर 3 से 5 फीसदी कर लग सकता है। डिजिटल इकोनोमी (अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने के मकसद से केंद्र सरकार सालाना 10 लाख रुपए नकदी की निकासी पर 3 से 5 फीसदी कर लगाने पर विचार कर रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह कदम अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने और कालाधन पर लगाम लगाने के मकसद से उठाया जाएगा। अब 10 लाख रुपए सालाना निकासी के लिए 30000-50000 रुपए चुकाना घाटे का सौदा होगा, इसलिए सरकार का मानना है कि इससे नकदी के हस्तांतरण पर रोक लगेगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस कदम के नतीजे पर विचार-विमर्श किया गया है और कितना कर लगाया जाना चाहिए इस पर अभी विचार किया जा रहा है, लेकिन यह पांच फीसदी से कम नहीं होगा।
सूत्रों ने बताया कि 3-5 फीसदी कर लगाना उपयुक्त है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले सप्ताह एनईएफटी/आरटीजीएस भुगतान सर्वर का उपयोग करने के लिए बैंकों पर लागू मौजूदा शुल्क में छूट दे दी। केंद्रीय बैंक, बैंकों द्वारा एटीएम से निकासी पर लगाए गए शुल्क की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करने जा रहा है। एक अन्य सूत्र के अनुसार, जब डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिया जा रहा है तो फिर कोई नकदी हस्तांतरण के लिए 10 लाख रुपए नकदी की निकासी क्यों करे?
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