नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के सम्बंध में एक एनजीओ के वित्तीय पहलुओं की जांच शुरू की। यह जानकारी एजेंसी के एक अधिकारी ने दी। उन्होंने बताया कि एनजीओ को सालाना 36 लाख रुपए की रकम मिलती थी। पिछले दो महीने से बारीक परीक्षण के बाद ईडी ने अपराध के वित्तीय पहलुओं की जांच शुरू की। मामला मूल रूप से बालिका गृह में रहने वाली 34 लड़कियों के यौन उत्पीडऩ से जुड़ा हुआ है। एजेंसी द्वारा एनजीओ संकल्प एवं विकास समिति के कार्यों की जांच की जा रही है। एनजीओ 2013 से बालिका गृह का संचालन कर रहा था।
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आरोप है कि मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने धोखेबाजी का सहारा लेकर अपने नजदीकी रिश्तेदारों को एनजीओ प्रबंधन का हिस्सा बनाया। ठाकुर एनजीओ के सिर्फ संरक्षक थे, न कि पदाधिकारी। मामला जांच के अधीन होने के कारण एनजीओ के खातों को बंद कर दिया गया है और इसके प्रबंधन निकाय के सदस्यों को किसी संपत्ति को नहीं बेचने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार ने एनजीओ को काली सूची में डाल दिया है। आयकर विभाग भी ठाकुर और उनके एनजीओ की संपत्ति और सरकार द्वारा प्रदत्त 4.5 करोड़ रुपये अनुदान के खर्च के बारे में जांच कर रहा है।
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