नई दिल्ली। अवैध रूप से भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को आज वापस म्यांमार भेजा जा रहा है। असम में अवैध तरीके से रह रहे सात रोहिंग्या को म्यामार वापस भेजने के
केन्द्र के फैसले को चुनौती देते हुए नई याचिका दायर की गई है। इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पहली किस्त में 7 रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजा जा रहा है। इन्हें म्यांमार आव्रजन कार्यालय में भेजा जाएगा। यहां पर ही उनके सभी कागजातों की जांच होगी।
सभी सातों रोहिंग्याओं को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। सुबह करीब 7.30 बजे उन्हें इम्फाल से मणिपुर की मोरेह सीमा पर ले जाया गया, जहां से म्यांमार आव्रजन कार्यालय के लिए रवाना किया गया। म्यांमार आव्रजन कार्यालय में उनके सभी कागजातों की जांच होगी।
दरअसल, सातों रोहिंग्या असम के सिलचर स्थित हिरासत केन्द्र में बंद थे। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक गुरुवार को मणिपुर की मोरेह सीमा चौकी पर 7 रोहिंग्या प्रवासियोंको म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा जाना है। याचिका पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर विचार करने के बाद ही इस मामले की तुरंत सुनवाई पर फैसला देगी।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश ने अपने कामकाज के पहले दिन बुधवार को वकीलों के समक्ष स्पष्ट किया कि वह ऐसे मामलों में मानदंड तय होने तक तुरंत सुनवाई की अनुमति नहीं देगी। पीठ में न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ भी शामिल हैं। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि इन रोहिंग्या लोगों को स्वदेश वापस भेजा जा रहा है, अत: इस मामले की तुरंत सुनवाई जरूरी है।
पीठ ने कहा, तुरंत सुनवाई के लिए किसी मामले का उल्लेख नहीं। हम मानदंड तय करेंगे फिर देखेंगे कि मामलों का उल्लेख किस प्रकार होगा। पीठ ने कहा कि मौत की सजा की तामील और बेदखली के मामलों की ही तुरंत सुनवाई हो सकती है। शुरुआत में पीठ ने भूषण से कहा कि वह याचिका दायर करें।
भूषण के इस जवाब पर कि अर्जी दी जा चुकी है, पीठ ने कहा कि ‘हम इस पर विचार करेंगे और फिर फैसला लेंगे।’
29 जुलाई, 2012 को किया था गिरफ्तार
पड़ोसी देश की सरकार के गैरकानूनी प्रवासियों के पते की रखाइन राज्य में पुष्टि करने के बाद इनके म्यांमार के नागरिक होने की पुष्टि हुई है। यह पहली बार है जब रोहिंग्या प्रवासियों को भारत से म्यांमार भेज रही है। गौरतलब है कि सात रोहिंग्या लोगों को विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था।
काचार जिले के अधिकारियों ने बताया कि जिन्हें वापस भेजा जाएगा उनमें मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद,रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम शामिल हैं. इनकी उम्र 26 से 32 वर्ष के बीच है।
यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में
भारत सरकार ने पिछले साल संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से अधिक रोहिंग्या भारत में रहते हैं।हालांकि मदद प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है. रखाइन राज्य में म्यामांर सेना के कथित अभियान के बाद रोहिंग्या लोग अपनी जान बचाने केलिए घर छोड़कर भागे थे।
संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या समुदाय को सबसे अधिक दमित अल्पसंख्यक बताता है। मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने रोहिंग्या लोगों की दुर्दशा लिए आंग सान सू चीऔर उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
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