नई दिल्ली। केंद्र सरकार के देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचने की घोषणा की आलोचना होने पर सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा। सरकार ने 24 घंटे में ही स्पष्टीकरण जारी कर दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि देश के 80 फीसदी से अधिक ग्रामीण घरों में बिजली पहुंच गई है, जबकि किसी गांव को विद्युतीकृत घोषित करने के लिए 10 फीसदी घरों में बिजली होना ही आवश्यक होता है। विद्युत मंत्रालय ने सोमवार शाम को ही यह स्पष्टीकरण जारी किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विद्युत मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि विद्युतीकृत गांव की परिभाषा एक विरासत का मुद्दा है। सरकार का कहना है कि यदि परिभाषा ही कारण होती तो घरेलू विद्युतीकरण के इस स्तर को प्राप्त नहीं किया जा सकता था।
बयान में कहा गया कि सरकार इस विरोधाभास से बाहर आ चुकी है और सरकार ने 31 दिसंबर 2018 तक सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना-सौभाग्य’ योजना का शुभारंभ किया है। ऐसे में वर्तमान परिदृश्य में ग्रामीण विद्युतीकरण की परिभाषा पर आधारित बहस अपना महत्व खो चुकी है।
आपको बता दें कि एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने देश के सभी गांवों में
डेडलाइन से 12 दिन पहले बिजली पहुंचने की घोषणा की थी। इस पर विपक्ष ने
जमकर आलोचना शुरू कर दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने इस घोषणा
को सरकार का 'जुमला' तक करार दे दिया। उन्होंने कहा कि देश के 5.80 लाख
गांवों में पूर्व की सरकारों के समय में ही बिजली पहुंच चुकी थी और
प्रधानमंत्री मोदी दावा कर रहे हैं कि उनके समय सभी गांवों में बिजली
पहुंचाई गई।
पीएम मोदी ने रविवार को ट्वीट कर कहा था कि मणिपुर के
लेइसांग गांव समेत देश के ऐसे सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है, जो अब
तक रोशनी से अछूते थे। अब यह गांव भी दूधिया रोशनी से नहा उठा है। वर्ष
2015 में गांवों को रोशन करने के लिए दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना शुरू
करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया।
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