नई दिल्ली| दिल्ली विधानसभा में
सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों ने शहर में चलाए जा रहे सीलिंग
अभियान पर जमकर शोरगुल किया जिसके कारण सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ा।
विधायकों ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले निगम इसके नाम पर
व्यापारियों से धन की उगाही कर रहे हैं।
आप विधायकों ने सीलिंग अभियान के खिलाफ हाथों में बैनर लेकर भाजपा विरोधी
नारे लगाते हुए अध्यक्ष के आसन के सामने प्रदर्शन किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रिहायशी
संपत्तियों का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए कर रहे व्यापारियों के
खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित निगरानी समिति की देखरेख में यह
अभियान चलाया जा रहा है।
भाजपा के नेतृत्व वाले तीनों नगर निगमों में यह सीलिंग अभियान लागू किया गया है।
आप
विधायकों का आरोप है कि व्यापारियों का भाजपा के नेतृत्व वाले नगर निगमों
द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है और इस पूरी प्रक्रिया में बहुत बड़ा
भ्रष्टाचार फैला हुआ है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध परिसरों को सील करने के लिए 2006 में निगरानी समिति का गठन किया था।
लेकिन, 2012 में अदालत ने समिति से अभियान रोकने को कहा था।
शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2017 में दोबारा सीलिंग अभियान शुरू करने का आदेश दिया और निगरानी समिति को पुन: सक्रिय कर दिया।
आप
ने सर्वोच्च न्यायालय में समिति को पुन: सक्रिय करने का विरोध किया था और
बाद में नगर निगमों पर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
आप
के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने पहले कहा था, "आप, भाजपा को उसके
भ्रष्टाचार के लिए ऐसे ही छोड़ नहीं देगी जिसके नतीजे में दिल्ली के
विभिन्न हिस्सों में व्यापारियों की दुकानें सील की जा रही हैं क्योंकि
भाजपा के नेतृत्व वाले निगम पैसों की उगाही चाहते हैं।"
उत्तरी
दिल्ली नगर निगम के प्रवक्ता योगेंद्र मान ने आईएएनएस को बताया, "उन
व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिन्होंने बिना कनवर्जन शुल्क दिए
रिहायशी संपत्तियों का व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल किया है।"
आईएएनएस
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