नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने
नायब अदालतों, एक स्थानीय पुलिस स्टेशन, जेल अधिकारियों और विशेष अधिकार
क्षेत्र वाली अदालत के बीच संपर्क-सूत्र के रूप में काम करने वाले
पुलिसकर्मियों के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है और चेतावनी के बावजूद
उन्हें 'निहत्थे' रखे जाने के संबंध में पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनू अग्निहोत्री की पीठ ने कहा कि नायब अदालतें,
पुलिस विभाग द्वारा पहले जारी किए गए परिपत्र के बावजूद, अभियोजन पक्ष
अदालत में निहत्थे उपस्थित होता है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली के सीपी और डीसीपी (साउथ ईस्ट) से भी अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है।
पीठ ने संबंधित अधिकारियों को अभियोजन पक्ष के कर्तव्यों का एक चार्टर पेश करने के लिए कहा।
कोर्ट
ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाए कि क्या अभियोजन पक्ष को नायब अदालत में तब
तक मौजूद रहने की जरूरत है, जब तक कि अदालत की कार्यवाही पूरी नहीं हो
जाती। विशेष रूप से उस परिदृश्य में, जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के
न्यायाधीशों की सुरक्षा को खतरे का संज्ञान लिया है।
अदालत ने यह
टिप्पणी एक मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए की,
जिसकी अगली सुनवाई के लिए 8 दिसंबर की तारीख तय की गई है।
--आईएएनएस
भारत ने बांग्लादेश को 7 विकेट से हराया, सीरीज में 1-0 की बढ़त
महिला टी20 विश्व कप: भारत ने पाकिस्तान को 6 विकेट से पीटा
हरियाणा में एग्जिट पोल अगर नतीजों में बदले तो कौन होगा कांग्रेस की ओर से सीएम का चेहरा, जानें कितने हैं दावेदार
Daily Horoscope