नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मल्होत्रा समिति की रिपोर्ट के बाद ही कांग्रेस ने देश में 1991 में निजीकरण की शुरूआत की थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
श्रीमती सीतारमण ने शुक्र वार को राज्य सभा में केन्द्रीय बजट 2022-23 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि देश में 1991 में निजीकरण की शुरू आत हुई थी और उस वर्ष तथा बाद के वर्षों में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का विनिवेश किया गया था।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती हूं? क्या आप निजीकरण चाहते हैं या नहीं? आपने इसे 1991 में शुरू किया था, संप्रग के तहत एक लाख करोड़ से अधिक के विनिवेश का क्या स्पष्टीकरण है।?
क्रिप्टो मुद्रा को सरकार की तरफ से इसे वैधता प्रदान करने के विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा, मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि क्रिप्टो मुद्राओं पर कर लगाकर, हमने लेनदेन से होने वाले लाभ पर कर लगाया है। मैं इसे वैध बनाने , प्रतिबंधित या इसे विनियमित करने के लिए कुछ भी नहीं कर रही हूं।
उन्होंने कहा कि यह वैध या नाजायज है यह एक अलग सवाल है, लेकिन मैं इस कर लगाऊंगी क्योंकि यह हमारा संप्रभु अधिकार है।
उन्होंने राज्यों को सहायता के मुद्दे का जवाब देते हुए कहा कि विžत वर्ष 2022-23 के लिए यह आवंटन एक लाख करोड़ रुपये है और इस पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। यह उन्हें अगले 50 वर्षों के लिए अर्थव्यवस्था में समग्र निवेश को पूंजीकृत करने में सहायता के लिए है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि राज्यों और उनकी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, हमने सुनिश्चित किया था कि नवंबर 2021 में उनकी नकदी को दोगुना करने के लिए उन्हें एक अग्रिम किस्त दी जाए।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इसी तरह जनवरी में भी हमने उन्हें दोबारा मासिक किश्त दी ताकि वे तेजी से खर्च कर सकें। हम इस मामले में थोड़ा संवेदनशील हो रहे हैं और उनके भुगतान को त्वरित आधार पर कर रहे हैं ताकि उन्हें नुकसान न हो।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि एक सदस्य ने कहा है कि हमारी नीतियां नागपुर और कहीं अन्य से भी रिमोट नियंत्रित थीं, यह बात उस पार्टी से आती है जहां कोई पार्टी लोकतंत्र नहीं है और नीति 10 जनपथ द्वारा तय की गई थी और 7 लोक कल्याण मार्ग पर उनकी घोषणा की जाती थी।
उन्होंने विपक्षी सदस्य की उस टिप्प्णी कि उच्च सदन की सदस्य होने के नाते, वह जमीनी हकीकत से अनजान हैं, का जवाब देते हुए कहा क्या इस सदन से आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी जमीनी हकीकत से कटे हुए थे।?
उन्होंने टिप्पणी की, इस प्रतिष्ठित सदन से एक प्रधान मंत्री द्वारा निर्देशित 10 साल, मै यह उम्मीद नहीं करती कि इस सदन का कोई सदस्य मुझे यह सुझाव देगा।
--आईएएनएस
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