चंड़ीगढ़। जी हां, यहां बात हो रही चंडीगढ़ के डीसी कम एस्टेट ऑफिसर के 9 फरवरी 2023 के पब्लिक नोटिस की। इस तुगलकी फरमान से रातोंरात चंडीगढ़ के लाखों प्रोपर्टी ओनर मालिक होते हुए भी अपनी ही प्रॉपर्टी को बेचने का मौलिक अधिकार ही खो बैठें हैं।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में बुधवार को प्रॉपर्टी कंसलटेंट संगठन चंडीगढ़, फ़ासवैक चंडीगढ़ कराफेड चंडीगढ़, शेयर होल्डर प्रॉपर्टी संगठन, चंडीगढ़ बिजनेस काउंसिल व अन्य संगठन के बैनर तले चंडीगढ़ के प्रॉपर्टी ऑनर्स ने चंडीगढ़ की एमपी किरण खेर, चंडीगढ़ के प्रशासक, डिप्टी कमिश्नर कम स्टेट ऑफिसर से एक सवाल किया कि इस अंतरिम आदेश की समय सीमा कौन तय करेगा कब तक वह इस आदेश से बंधे अपनी करोड़ की प्रॉपर्टी बेचने की सोच पाएंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गौरतलब है कि पिछली फरवरी से चंडीगढ़ में शेयर वाइस रजिस्ट्री रुकी हुई है और जिससे कई लोगों की प्रॉपर्टियों के सौदे बीच में रुके पड़े हैं जिससे करीब 500 करोड़ के सौदे रुके है व प्रशासन को 25 करोड़ के राजस्व का भी नुकसान पहुंचा है। इनमें से कइयों ने बच्चों की शादी करनी है, कई रिटायर लोगों ने विदेश जाना है, कइयों ने बड़ा घर लेना है, कइयों ने और इन्वेस्टमेंट करनी है या फिर उन्होंने अपने बच्चों को बिजनेस खोल कर देना है वह सब लटके हुए हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि जिस पिटीशन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था जिसमें 1 से 30 सेक्टर तक नक्शा पास करने से पहले उसे पर गौर फरमाने का हुक्म जारी हुआ था, ना तो उसे पिटीशन में ना ही फिर सुप्रीम कोर्ट के उसे आदेश में कहीं भी रजिस्ट्री रोके जाने का जिक्र है; लेकिन फिर भी चंडीगढ़ प्रशासन के आल्हा अधिकारियों ने इस मामले को जस का तस बना रखा है।
गत दिवस चंडीगढ़ की एमपी किरण खेर ने इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में सख्त बयान जारी कर मांग की कि ई वी वाहनों की रजिस्ट्रेशनों से कैपिंग हटाई जाए तो क्या हम प्रॉपर्टी ओनर शहरवासी इतना भी अधिकार नहीं रखने की हमारे मेंबर पार्लियामेंट हमें सौतेला न मानते हुए हमारी मांगों को भी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की कृपा करें। इसीलिए हम सभी प्रशासनिक अधिकारियों से सिर्फ और सिर्फ एक सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक हम इस मामले में इंतजार करें।
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