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भारत में अदाकार एक कलाकार कम ब्रांड ज्यादा: पंकज त्रिपाठी

नई दिल्ली। अपने अभिनय के लिए समीक्षकों से सराहना पाने वाले अभिनेता पंकज त्रिपाठी का कहना है कि भारत में अदाकार एक कलाकार कम और प्रोडक्ट या ब्रांड ज्यादा होता है।

त्रिपाठी हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘न्यूटन’ को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म को ऑस्कर 2018 के लिए सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म की श्रेणी में भारत की तरफ से नामांकित किया गया है।

पंकज त्रिपाठी से आईएएनएस ने खास मुलाकात में पूछा कि कई फिल्में ऐसी होती हैं, जिनमें थिएटर के कलाकारों को लिया जाता है। वे फिल्में लोगों से जुड़ी होती हैं और मनोरंजन भी करती हैं। फिर भी, बॅाक्स ऑफिल पर कमाल नहीं कर पातीं। आखिर इसकी क्या वजह है?

इसके जवाब में पंकज त्रिपाठी ने कहा, ‘‘अभी हमारा देश ‘इमेज मेकिंग’ के ट्रेंड से गुजर रहा है। दुर्भाग्य से, थिएटर कलाकारों में वो मार्केङ्क्षटग वाला गुण नहीं होता। थिएटर कलाकार को तो छोडि़ए, खुद थिएटर को नहीं पता कि उसे अपनी मार्केटिंग कैसे करनी है। यही वह वजह है कि थिएटर से जुड़े कलाकार रोजी रोटी के लिए पूरी तरह से थिएटर पर निर्भर नहीं रह सकते हैं।’’

‘ओमकारा’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘मसान’ जैसी फिल्मों में अदाकारी के जौहर दिखा चुके पंकज ने कहा, ‘‘यदि आप थिएटर कलाकार हैं, तो आपको अभिनय की चिंता नहीं करनी होती है क्योंकि आप उसके लिए पहले से तैयार रहते है। लेकिन हम इसे बेच नहीं पाते क्योंकि हमें मार्केटिंग नहीं आती। मैं इस पेशे में लंबे समय से हूं। मुझे यहां पहुंचने में 12 वर्ष लग गए। मैं अभिनय कर सकता हूं लेकिन मैं बेचे जाने योग्य नहीं हूं। क्यों? क्योंकि हमारे देश में कलाकार, कलाकार नहीं है, वह प्रोडक्ट और ब्रांड है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें हर जगह स्टार चाहिए, चाहे वह राजनीति हो, क्रिकेट हो या सिनेमा। हमारा समाज चमक-दमक देखता है। थिएटर कलाकार स्टार नहीं हैं। वे सच की तलाश में रहते हैं और यह प्रयास करते हैं कि कैसे वह सच को अपने जीवन में ला पाएं। वह अपने काम को मनोरंजक बनाने और अधिक दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश करते है।’’

पंकज ने बेचने और मार्केटिंग की व्यापार की कला के बारे में बात करते हुए अपनी हाल की फिल्मों ‘गुडग़ांव’ और ‘न्यूटन’ की तुलना की। उन्होंनेकहा, ‘‘आपको अपनी फिल्म को बेचने के लिए सपोर्ट की आवश्यकता होती है, जैसे ‘न्यूटन’ के पास वितरक थे, इरोज इंटरनेशनल और दृश्यम फिल्म्स थे। इस वजह से हमारी इस फिल्म को अच्छी रिलीज नसीब हुई। दूसरी तरफ मेरी फिल्म ‘गुडगांव’ जो एक स्वतंत्र फिल्म थी, उसे उतनी अच्छी रिलीज नहीं मिली और लोगों को उस फिल्म के बारे में ज्यादा पता नहीं चला, हालांकि इसे सराहना काफी मिली।’’

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Web Title-From politics to cricket to cinema, India is a star-struck society: Pankaj Tripathi
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