बलवंत तक्षक
[@ यहां था पैदा होते ही बेटी को मार देने का रिवाज, अब बेटी ने ही किया नाम रोशन]
चंडीगढ़। अजीब स्थिति है। जिन्हें मिल गई, वह कह रहे हैं, वाह नौकरी, जिन्हें नहीं मिली, वे कह रहे हैं आह नौकरी! वाह और आह के इस खेल में न पंजाब अछूता है और न हरियाणा। पंजाब व हरियाणा सरकारों के सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन विभाग कोई भी हो, न गड़बड़ी के आरोप लगते देर है और न अदालत का दरवाजा खटखटाने में किसी को कोई हिचक है। एक मामला पंजाब पुलिस विभाग की इंटेलिजेंस विंग में असिस्टेंट के पदों पर भर्ती का है तो दूसरा हरियाणा मछली पालन विभाग में फिशरमैन के पदों पर नियुक्ति का है। दोनों ही जगह गड़बड़ी के आरोप हैं। पंजाब में सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा गठबंधन को जल्दी ही विधानसभा चुनावों का सामना करना है, ऐसे में आरोप बादल सरकार पर भारी पड़ सकते हैं। चूंकि, हरियाणा में विधानसभा चुनावों में अभी तीन साल की देरी है, ऐसे में नौकरी से वंचित रहे उम्मीदवारों ने अदालत का खटखटाना ही ठीक समझा है। पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग में असिस्टेंट पद पर 22 मुलाजिम कांस्टेबल रैंक पर भर्ती किए गए हैं, जिन्हें लेकर बवाल मचा है। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने चोर दरवाजे से भर्ती के आरोप लगाते हुए कहा है कि इनमें से 21 मुलाजिम जलालाबाद क्षेत्र के हैं। जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र से उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल अकाली दल के विधायक हैं और गृह मंत्री के नाते पुलिस विभाग भी उन्हीं के अधीन है। भर्ती किया गया 22वां मुलाजिम अबोहर उपमंडल से है। जाखड़ ने आरोप लगाया है कि जिस तरह चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले सरकारी नौकरियों में कायदे-कानून को ताक पर रख दिया गया है, उसे देखते हुए इन नियुक्तियों को रद्द करना ही जायज होगा।जाखड़ ने कहा है कि चोर दरवाजे से फटाफट भर्तियां कर उन्हें सीमावर्ती क्षेत्रों में पोस्टिंग के आॅर्डर भी हाथों-हाथ थमा दिए गए हैं। जाखड़ मानते हैं कि इन नियुक्तियों ने पंजाब के इतिहास में अब तक भर्तियोंं में हुई अनियमितताओं के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भर्तियां रद्द करवाने के लिए वे पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर के अलावा चुनाव आयोग से भी गुहार लगाएंगे। बादल सरकार की तरफ से इन नियुक्तियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उधर, हरियाणा मछली पालन विभाग में फिशरमैन के 90 पदों पर हुई नियुक्तियां भी विवादों के घेरे में हैं। आरोप है कि 90 पदों के विरुद्ध 97 नियुक्तियों की सिफारिश की गई है। इससे पहले कि सत्तारूढ़ भाजपा को विपक्ष की तरफ से घेरने की कोशिश हो, मामला पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है। विवाद उठने पर राज्य सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आती, इससे पहले ही मछली पालन विभाग के निदेशक आरके सांगवान ने पत्र लिख कर इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाए। विभाग के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने भर्ती दोबारा करने का भी सुझाव दिया है। राज्य सरकार को पत्र लिखने के साथ ही सांगवान ने यह भी सुााव दिया है कि ग्रुप डी में ज्वाइन कर चुके फिशरमैन कम वाचमैन पदों के 43 उम्मीदवारों को वेतन जारी नहीं किया जाए। वे अब किसी स्वतंत्र एजेंसी से दोबारा भर्ती कराने का सुााव भी दे रहे हैं। इस मामले में अंतिम फैसला राज्य सरकार को करना है। लेकिन इसमें भी पेंच फंसा है। अगर राज्य सरकार इन नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला करती है तो चयन के बाद ज्वाइन कर चुके उम्मीदवार भी अपनी नौकरी बचाने को अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। बहरहाल, एक तरफ सरकारी नौकरी पाने और दूसरी तरफ नौकरी बचाने की लड़ाई शुरु हो चुकी है। कानूनी दांव-पेंच की वजह से इस खेल के तुरंत खत्म होने के आसार कम और लंबा खिंचने की संभावनाएं ज्यादा हैं। ऐसे में अब देखना यही है कि शह और मात के इस खेल में आखिर जीत किसकी होती है?
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