आखिर देश में क्यों हो रही है कैश की किल्लत? जानें-ये बड़ी बातें

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 18 अप्रैल 2018, 09:35 AM (IST)

नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में नकदी की कमी और खाली पड़े एटीएम के कारण हाहाकार मचा हुआ है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों में लोगों को कैश की कमी से जूझना पड़ रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार और आरबीआई कैश की पर्याप्त उपलब्धता का दावा कर रहे हैं। लोग कैश क्रंच की वजह जानना चाहते हैं और सरकार का कहना है कि नोटों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि से समस्या आई है। हालांकि, अब तक सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है।

नकदी की कमी और खाली एटीएम की खबरों के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने लोगों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा, प्रचलन में जरूरत से ज्यादा नोट हैं। इसके साथ ही सरकार ने कुछ क्षेत्रों में नकदी की इस कमी के लिए असामान्य मांग पैदा करने का लोगों पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नकदी की असामान्य मांग को देखते हुए सरकार ने 500 रुपये के नोट की छपाई पांच गुना अधिक करने का फैसला किया है। जेटली ने ट्वीट किया, देश में प्रचलन में जरूरत से ज्यादा नकदी है और बैंकों के पास भी पर्याप्त नकदी है। कुछ क्षेत्र में नकदी की कमी अचानक असामान्य मांग बढऩे से हुई है और स्थिति से निपटा जा रहा है।

इस स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि आरबीआई के वॉल्ट्स और करेंसी चेस्ट्स में पर्याप्त नकदी हैं और देश के चारों नोट छापने वाले प्रिटिंग प्रेस में छपाई बढ़ा दी गई है। वहीं, जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में आर्थिक मामलों के सचिव एस. सी. गर्ग ने कहा, देश में नकदी की कमी नहीं है। अभी 18 लाख करोड़ रुपये की नकदी प्रचलन में है। इतनी ही नकदी नोटबंदी से पहले प्रचलन में थी। हम मांग बढऩे पर आपूर्ति के लिए 2.5-3 लाख करोड़ नकदी अतिरिक्त रखते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से नकदी की मांग अचानक बढ़ी है।

बैंकों में वापस नहीं आ रहे है 2000 के नोट

कई बैंक अधिकारियों का कहना है कि 2000 के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। यह भी अफवाह है कि कर्नाटक चुनावों में कैश होर्डिंग से संकट खड़ा हुआ है। इससे इस बात की आशंका को भी बल मिल रहा है कि कहीं ब्लैक मनी की होर्डिंग के लिए तो इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। देश की सबसे बड़ी करंसी होने और आकार छोटे होने की वजह से भी 2000 के नोटों को लेकर ऐसी आशंका खड़ी हो रही है। आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने भी माना कि 2000 रुपये के नोटों की कमी आई है, लेकिन फिर से काला धन जमा होने की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया है।

आखिर क्यों हो रही है कैश की किल्लत



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- फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन ऐंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल का डर।
- बिल में सिफऱ् एक लाख छोडक़र पूरा पैसा लेने का प्रावधान।
- ग्राहकों के पैसों से बैंकों की सेहत सुधारने का प्रावधान।
- लगातार बढ़ रहे एनपीए की वजह से ग्राहकों में घबराहट।
- डर की वजह से एटीएम से जदा पैसे निकालने की होड़।
- सालभर से 2000 को नोटों का छपना बंद।
- 200 के नोटों के लिए 70 फ़ीसदी एटीएम तैयार नहीं।
- कृषि क्षेत्र में खरीद-फरोख्त में बढ़ोतरी।
- शादी का सीजन।
- कंपनियों द्वारा वित्तीय साल का क्लोजर।

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