यूपी चुनाव: बाप नंबरी बेटा दस नंबरी, राजनीति में डूबते रिश्तों पर खास रिपोर्ट

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 20 फ़रवरी 2017, 12:31 PM (IST)

अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। आपने कादर खान और शक्ति कपूर की फिल्म बाप नंबरी और बेटा दस नंबरी तो देखी होगी। अगर नहीं देखी है तो यह आपको लखनऊ से सटे बाराबंकी में जरूर दिख जाएगी लेकिन यह राजनैतिक फिल्म होगी। जिसमें बाप यानी बेनी प्रसाद वर्मा हैं तो बेटा राकेश वर्मा। बड़े वर्मा फिलहाल साइकिल पर हैं तो चुनाव के दिन ही बेटा हाथी पर सवार होकर बसपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार पर निकल गया। बेनी को राज्यसभा की चिंता है तो राकेश को सियासी भविष्य की। बाराबंकी की सियासत में पापा बेनी प्रसाद वर्मा व उनके बेटे राकेश वर्मा ने भितरघात का ऐसा सियासी ड्रामा खेला कि लोग दंग रह गए।

जहां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कड़े तेवरों एवं राज्यसभा की चिन्ता में सहमें पापा जी ने मतदान के दिन दोपहर के समय साइकिल व सपा की वकालत की। वहीं रविवार को उनके बेटे चल-चल मेरे हाथी का गाना गाते नजर आये। यह अलग बात है कि आज सपा सांसद ने अपने बेटे को बालिग करार देते हुए सारे भितरघाती कुकर्मों पर पर्दा डालने का असफल प्रयास किया। सियासत में पद प्राप्ति के लिए बड़े-बड़े सियासतदान न जाने कब अपनों की पीठ में खंजर भोंक देते हैं इसका पता तब चलता है जब पाप सामने आकर तैरना शुरू कर देते हैं। जिले में रामनगर सीट के टिकट को लेकर सपा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा एवं उनके पुत्र राकेश वर्मा इतना ज्यादा आगबबूला हो गये कि उन्होंने रामनगर के सपा प्रत्याशी अरविन्द सिंह गोप को चुनाव में निपटाने की कोई कसर नहीं छोड़ी।

खास बात यह है कि इस दौरान बड़े वर्मा जी चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रहे तो वहीं छोटे वर्मा जी ने सपा को साफ करने के लिए बसपा का हाथी कहां-कहां व कैसे-कैसे गणेश बनाया जाये इसकी विश्वासघाती मुहिम में लगे रहे। राकेश वर्मा रामनगर में जाकर खुलेआम बसपा प्रत्याशी के समर्थन में अपने सजातियों एवं समर्थकों को बसपा का समर्थन करने को कह रहे थे। यही नहीं खबरें यह भी थीं कि जनपद की अन्य पांच विधानसभा सीटों पर भी छोटे वर्मा ने अपने लोगों को साइकिल पंचर करने के आदेश दिए।

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राजनीतिक विश्लेषक यह कतई मानने को तैयार नहीं हैं कि छोटे वर्मा की यह हाथीयुक्त सियासी कलाबाजियों से बड़े वर्मा अंजान थे। बेनी प्रसाद वर्मा व बेटे राकेश वर्मा के भितरघाती सियासी ड्रामे पर कई लोग व्यंग्य करने से न चूके।

एक साथ जब यह रायशुमारी आयी तो लोग कह उठे कि बाराबंकी में तो पूरी फिल्म ही चला दी वहीं कादरखान व शक्ति कपूर वाली। बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी।

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