वैली ऑफ डैथ के नाम बदनाम होने लगी यहां की वादियां, 24 सालों में लापता हुए 18 विदेशी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017, 2:59 PM (IST)

कुल्लू(धर्मचंद यादव)। भारत में आने वाले विदेशियों की पहली पसंद भले ही हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी है। जहां वह प्रकृति के आनंद के साथ-साथ चरस का भी भरपूर आनंद उठाते हैं लेकिन पिछले कुछ दशकों से कुल्लू घाटी विदेशियों के लिये खतरनाक साबित होने लगी है। खासकर पार्वती वैली तो विदेशियों के लिये मौत की घाटी साबित होने लगी है। एक तरह से अब कुल्लू घाटी विदेशों में `वैली ऑफ डैथ` के नाम से भी बदनाम होने लगी है। जिसमें कई विदेशी ऐसे गुम हुये कि आज तक उनका पता नहीं चल पाया है।
उल्लेखनीय है कि सफेद बर्फ से सराबोर कुल्लू घाटी के पहाड, कल-कल का निनाद करते झरने व झीलें तो कहीं ठंडे-गर्म पानी के चश्मे यहां की ऐसी खूबसूरती बयां करते हैं जिसका दूसरा कोई सानी नहीं। ऐसा आकर्षण जहां दुनिया भर के विदेशी सैलानी खींचे चले आते हैं लेकिन इन्हीं खूबसूरत वादियों में पिछले कुछ दशकों के दौरान 18 विदेशी सैलानी लापता हो चुके हैं। हालांकि यह आंकडा तो पुलिस का है जबकि गैर सरकारी आंकडों पर गौर करें तो अब तक लगभग दो दर्जन से ज्यादा विदेशी सैलानी कुल्लू घाटी की वादियों में हमेशा के लिये गुम हो गये हैं।
जानकारों का मानना है कि ट्रैंकिंग और नशे के शौकीन विदेशी सैलानी पार्वती घाटी और मनाली की वदियों की ओर ज्यादा रूख करते हैं। सूत्र बताते हैं कि विदेशियों का हिमाचल प्रदेश खासकर कुल्लू घाटी के प्रति आकर्षण का एक मुख्य कारण यहां पैदा होने वाली भांग(चरस) भी हैं। विदेशों में मशहूर कुल्लू घाटी की चरस के आकर्षण में अधिकतर विदेशी यहां आते हैं और इसका एक बार चस्का लग जाने के बाद यहां के हो जाते हैं। यही कारण है कि अपनी इस आदत को पूरा करने के लिए वे या तो बिना वीजा के कई-कई सालों तक घाटी में घूमते रहते हैं या फिर यहीं पर शादी रचा लेते हैं। ताकि बिना किसी विघ्न के यहां रहा जा सके। कुछ विदेशी चरस का व्यापार करने के चक्कर में भी यहां पहुंचते हैं और या तो इसी धन्धे के होकर रह जाते हैं या फिर चरस के नशे में डूब जाते हैं।
हालांकि कुल्लू पुलिस विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिये हर सम्भव प्रयास करती है लेकिन इसके बावजूद भी घाटी में विदेशी सैलानियों के लापता होने का सिलसिला बराबर जारी है। हालांकि पुलिस लगातार विदेशियों व होटल वालों को आगाह करती रहती है कि वह अपने आवागमन की जानकारी विस्तार से नजदीकी थाना या चौकी में अवश्य दें ताकि विपरित परिस्थितियों में उनको सहायता मुहैया करवाई जा सके लेकिन इसके बावजूद भी न तो विदेशी सैलानी अपने आवागमन की सही जानकारी नहीं देते हैं और न ही होटल वाले विदेशियों के संदर्भ में समय पर पुलिस को सूचित करते हैं।
कुल्लू के अतिरिक्त पुलिस अघीक्षक निश्चित नेगी के मुताबिक 1992 से अब तक कुल्लू के मणिकर्ण के आसपास से ही 10 और मनाली से 8 विदेशी सैलानी लापता हो चुके है जिनका आज तक कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। लापता हुए विदेशियों को लेकर कई दिनों तक कुल्लू-मनाली की वादियों में सर्च आपरेशन को अंजाम दिया जा चुका है लेकिन अब तक लापता हुए लोगों में किसी का भी कोई सुराग नहीं मिल पाया है। इनमें से अधिकतर लोग ट्रैकिंग के दौरान लापता हुये हैं। यहां तक कि ट्रैकिंग के दौरान लापता हुए लोगों को ढूंढने के लिए चले सर्च आपरेशन में हैलिकाप्टर की भी मदद ली जा चुकी है लेकिन किसी का भी कोई सुराग नहीं मिल पाया है लेकिन इनके गायब होने का सिलसिला वर्ष 1991 में आरभ हुआ जब आस्ट्रेलिया की एक महिला सैलानी ओडेर अचानक मनाली से लापता हो गई थी।
बहरहाल कहना यह होगा कि हिमाचल प्रदेश की सुरमय वादियों में विदेशियों का आना तो एक शुभ संकेत है क्योंकि इससे यहां के स्थानीय लोगों की आर्थिकी में सुधार होगा, किन्तु जिस तरह वर्ष दर वर्ष ये विदेशी गायब हो रहे हैं या फिर मादक पदार्थों के धंधे में इनकी संलिप्तता बढती जा रही है, उसके चलते इन पर कडी निगरानी रखना भी जरूरी है क्योंकि पुलिस विदेशियों को केवल वीजा खत्म होने पर ही हाथ डाल सकती है। अन्यथा वे कहीं भी बेरोकटोक आ जा सकते हैं।
यह विदेशी सैलानी हुये गायब
1992 में मणीकर्ण से मेरियानी हिरये स्वीश नागरिक, टाटजाना वेटिनों यूगोस्लाविया नागरिक नग्गर से। 1991 में ओडेते हाटन आस्ट्रेलियन नागरिक मणिकर्ण से। 1995 में एशले पालुबो और टैलर मो. डलोक अमेरिका नागरिकता मनाली से। 1995 में ही एचआरएम टीमर डच नागरिक व जान जीजोरी पोवेल आस्ट्रेलियन नागरिक मनाली से। 1996 में हैंज राग स्वीज नागरिक, पाल रोचे आईरिश नागरिक मनाली से व इयान मागफोर्ड ब्रिटिश नागरिक मणिकर्ण से। 1997 में नादव मिंटजेर इसराईली नागरिक मणिकर्ण से, अरदावान तेहरजादेह कनेडियन नागरिक कसोल मणिकर्ण वैली से व एलैक्सी इवानोब रशियन नागरिक मणिकर्ण से। 2003 में गाय डोडी इसरायल नागरिक मनाली से। 2004 में फ्रांसिसको गैटी इटालियन नागरिक मणिकर्ण से। 2005 में डेनियल माउंट आस्ट्रेलियन नागरिक पार्वती वैली मणिकर्ण से । 2009 में आमी चाए स्पेइनमेटीज इजराइली नागरिक मणिकर्ण से व 2015 में ब्रुनो मुशेलिक पोलिश नागरिक मनाली से गायब हुए हैं।

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