कई बार जमानत जब्त होने के बाद भी नहीं छोड़ी ‌विधायक बनने की जिद्द

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 11 फ़रवरी 2017, 10:16 AM (IST)

सुल्तानपुर। नेताओं और विधायकों के फोटो खींचते-खींचते सुल्तानपुर के एक शख्स को ऐसी धुन सवार हुई कि उसने भी विधायक बनने का फैसला कर डाला। फोटोग्राफी का काम छोड़ उसने चुनाव लड़ने की ठानी और कूद पड़ा चुनावी मैदान में। लगातार चौथी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहा यह शख्श बीते चुनावों में भले ही अपनी जमानत न बचा पाया हो लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर उनको बड़ी चुनौती देने की ठानी है। यह संयोग ही है कि कैमरे से मुहब्बत करने वाले इस शख्स का पिछले तीनों विधानसभा चुनावों में चुनाव निशान कैमरा ही था।
इसौली विधानसभा से चुनाव लड़ रहे यह शख्स हैं रमेशकुमार। कुड़वार थाना क्षेत्र के भगवानपुर भंड़रा के रहने वाले रमेश पेशे से फोटोग्राफर थे। कुड़वार बाजार में फोटोग्राफी की दुकान करने वाले रमेश को अचानक विधायक बनने का शौक लगा और 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होने ताल ठोंक दी। सुल्तानपुर सदर विधानसभा से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पहली बार उन्होंने चुनाव लड़ा और 604 वोट पाकर अपनी जमानत गंवा दी। दुकान छोड़ राजनीति को ही अपना ओढना बिछौना मान फिर से तैयारी शुरू कर दी और वर्ष 2007 के विधानसभा में उन्होने फिर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार किस्मत आजमाई लेकिन इस बार फिर 937 वोट पाकर वह अपनी जमानत गंवा बैठे।

धुन के पक्के रमेश ने अब क्षेत्र बदला और 2012 के विधानसभा चुनाव में वो इसौली विधानसभा से चुनाव लड़े। इस बार क्रांतिकारी समता पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुये उन्हे अपना उम्मीदवार बनाया हालांकि रमेश को इसका कोई खास लाभ नही मिला और पहली बार उनके मत चार अंको में यानी 1165 पहुंचे। तीन बार हारने के बाद भी रमेश ने विधायक बनने का ख्वाब नही छोड़ा लिहाजा इस बार फिर उन्होने इसौली विधानसभा से अखिल भारतीय विकास कांग्रेस पार्टी से अपना नामांकन दाखिल किया है। वजह कुछ भी हो लेकिन लगातार चुनाव लड़ने के पीछे रमेश का कहना है कि जनता को न्याय दिलाने और क्षेत्र का विकास करने के लिये यह एक संघर्ष है।
यह इत्तेफाक ही है कि कैमरा चलाने वाले इंटर पास रमेश का पिछले तीनों चुनावों में चुनाव निशान कैमरा ही था। पिछले चुनावों में हार कर अपनी जमानत गंवाने के बाद भी रमेश के इरादों में जरा भी कमी नहीं दिखती यही वजह है कि आने वाले लोकसभा 2019 के चुनाव में उन्होने अमेठी से राहुल गांधी को चुनौती देने की ठानी है।

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पिछले डेढ दशकों से राजनीति के तमाम दांवपेंच देख रहे रमेश अब हार जीत को भूल चुके हैं।
शायद यही वजह है कि उन्होने जनता को न्याय दिलाने और क्षेत्र का विकास करने के लिये जिन्दगी भर चुनाव लड़ते रहने की ठानी है।

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