आस्था का केन्द्र है छायन का देवनारायण मंदिर

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 02 फ़रवरी 2017, 4:46 PM (IST)

प्रतापगढ़। पूर्वजों, पितरों और लोक देवताओं से लेकर देवी-देवताओं के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास की परंपरा के प्रतीक असंख्य देवालय व देवरे राजस्थान के मेवाड़, वागड़ और कांठल क्षेत्र में विद्यमान हैं, जिनके प्रति लोक आस्था का ज्वार सालभर दिखाई देता है। इन देवधामों पर विशिष्ट अवसरों पर लगने वाले मेलों में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और धर्म लाभ लेने के साथ ही सामाजिक समरसता और धार्मिक आस्थाओं को अभिव्यक्त करते हुए अपने आपको धन्य मानते हैं।

इसी परंपरा में बांसवाड़ा-प्रतापगढ़ मार्ग पर प्रतापगढ़ से कुछ पहले छायन गांव में मुख्य मार्ग पर ही दाहिनी ओर देवनारायण का मंदिर है, जो क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए आस्था का केन्द्र है। इसमें देवनारायण के साथ ही हनुमान, माताजी, गणेश आदि की मूर्तियां भी हैं। मंदिर में भौपाजी की गादी भी है। हर वर्ष यहां देवनारायण जयंती के अवसर पर कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इसमें दूर दराज से लोग भगवान देवनारायण के दर्शन करने पहुंचते हैं। और मन्नत मांगते हैं। अपनी मन्नत पूरी होने पर देवनारायण भगवान के मंदिर पर माथा टेकने आते हैं।

हरियाली बिखेरता धर्मधाम



[@ यहां एक मुस्लिम ने दी थी गायों की रक्षा में जान]

मनोरम वातावरण में पेड़ों की छांव का सुकून देने वाले इस मंदिर में फलाहारी महाराज के नाम से प्रसिद्ध सिद्ध तपस्वी संत ने 12 वर्ष तक तपस्या की और लोक कल्याण गतिविधियों को साकार किया। ग्रामीण बताते हैं कि विक्रम संवत 2011 में फलाहारी महाराज ने 40 जोड़ों की शादी कराई थी। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र में वृक्षारोपण भी कराया। इसी का नतीजा है कि आज यह धर्म धार्म प्रकृति का महिमागान करता नजर आता है।

चेतना जगाता है फलाहारी महाराज का अखाड़ा



[@ यहां पिया मिलन की तड़प में विरहणी गाती है कुरजां]

देवनारायण मंदिर में फलाहारी महाराज की तस्वीर स्थापित है, जिसमें उनके अवतरण के बारे में दोहा लिखा हुआ है - संवत उन्नीस सौ उनसाठा, मेवाड़ नगर के बीच/भाद्रपद शुक्ला बुध पूर्णिमा, सन्त ने धरयो शरीर। इसी प्रकार उनके निर्वाण के समय को दोहे में स्पष्ट किया हुआ है - संवत दो हजार बत्तीसा, ऐराव नदी के तीर/कार्तिक शुदी बुध नवमी, सन्त ने तज्यो शरीर। एक अन्य तस्वीर भी मंदिर में लगी हुई है, जिसमें फलाहारी महाराज के साथ ही तपस्वी संत चरणदास महाराज का चित्र है। फलाहारी महाराज ने वर्षों तक इस स्थान पर रहकर अनेक सिद्धियां पाईं और जगत कल्याण की गतिविधियों का संचालन किया। इस कारण से इसे फलाहारी महाराज का अखाड़ा भी कहा जाता है। मंदिर की विभिन्न दीवारों पर देवी-देवताओं के रंगीन चित्र भी बने हुए हैं।

गांवाई पूजा की परंपरा बरकरार



[@ माता का चमत्कार: आपस में लड पडे थे पाक सैनिक.... ]

मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। बरसात के मौसम से पहले एक बार सुवृष्टि की कामना से गांव वाले मिलकर इन्द्र भगवान की पूजा व हवन करते हैं। इनमें गुर्जर समुदाय के साथ ही क्षेत्र के सभी समुदायों के लोगों की खूब भागीदारी होती है। भगवान देवनारायण का मंदिर छायन और आसपास के क्षेत्रों के लिए प्रमुख देव धाम है, जो साल भर किसी न किसी प्रकार की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केन्द्र बना रहता है।

[@ इस देवस्थान पर चट्टानें भी झुकाती हैं श्रद्धा से सिर]

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