एडबर्ग ने अपने करियर में एकल वर्ग में छह ग्रैंडस्लैम और युगल वर्ग में
तीन ग्रैंडस्लैम खिताब जीते हैं। इसके अलावा, वे स्वीडन के साथ चार बार
डेविस कप खिताब भी जीत चुके हैं। सियोल में 1988 में आयोजित हुए ओलम्पिक
खेलों में एडबर्ग ने एकल और युगल दोनों वर्गो में कांस्य पदक जीता था।
2014-15 तक एडबर्ग स्विट्जरलैंड के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर के कोच
भी रह चुके हैं। ऐसे में उनके लिए विश्व रैंकिंग कितना महत्व रखती है। ये भी पढ़ें - वनडे में इस उपलब्धि से सिर्फ दो कदम दूर हैं विराट कोहली, देखें...
इस
बारे में एडबर्ग ने कहा, निश्चित तौर पर महत्व रखती है। यह मेरे लिए ही
नहीं, बल्कि टेनिस खेलने वाले हर खिलाड़ी के लिए मायने रखती है। खिलाड़ी
विश्व रैंकिंग में अच्छा स्थान हासिल करने के लिए ही तो मेहनत करते हैं।
विश्व रैंकिंग में एक खिलाड़ी को नम्बर-1 बनने के लिए काफी समय और मेहनत
लगती है। मुझे लगता है कि सामान्य रूप से किसी भी खेल के शीर्ष स्तर को
छूने के लिए आपको कम उम्र से ही शुरूआत करनी होती है।
विशेषकर चोटों से दूर
रहना पड़ता है। ऐसे में जब आप शीर्ष स्थान के पास पहुंच जाते हैं, तो कई
छोटी-छोटी चीजें मायने रखती हैं। एडबर्ग ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी को टॉप
पर पहुंचने के लिए अपने पूरे करियर के दौरान शारीरिक और मानसिक तौर पर
मजबूत रहना पड़ता है और साथ ही साथ कोर्ट पर इसे दर्शाना भी होता है। बकौल
एडबर्ग, शीर्ष रैंकिंग में पहुंचने के लिए सबसे अहम है एक खिलाड़ी का
मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रहना। हालांकि, मैच के दौरान कोर्ट पर इसे
बनाए रखना काफी मुश्किल होता है।
इसके लिए आपके अंतर फुर्ती भी होनी चाहिए,
जो मैच के दौरान सर्व करते हुए काफी जरूरी होती है। देखा जाए, तो शीर्ष
स्तरीय खिलाड़ी का निर्माण इन सब चीजों के मेल से होता है। एडबर्ग ने कहा
कि एक साल में जो 12 माह होते है, उन 12 माह में एक खिलाड़ी का अपने खेल के
लिए बेहतरीन फॉर्म में रहना जरूरी है। ऐसे में पूरे साल भर उच्च स्तर पर
बने रहते हुए एक खिलाड़ी विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।
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