बोपन्ना ग्रैंड स्लैम जीतने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी हैं। उनसे पहले
लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा यह कमाल कर चुके हैं। इसके अलावा
बोपन्ना फ्रेंच ओपन के मिश्रित युगल का खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय हैं।
भूपति ने सबसे पहले 1997 में जापान की रिका हिराकी के साथ मिलकर यह कमाल
किया था। उन्होंने दूसरी बार 2012 में यह कमाल सानिया मिर्जा के साथ किया।
पिछले साल पेस ने स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ यह खिताब जीता
था।
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भारत के नाम अब 20 मिश्रित युगल ग्रैंड स्लैम खिताब हो गए हैं।
डाब्रोव्स्की ने भी गुरुवार को इतिहास रचा। वह ग्रैंड स्लैम जीतने वाली
कनाडा की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। बोपन्ना सात साल बाद किसी ग्रैंड स्लैम
के फाइनल में पहुंचे थे। इससे पहले उन्होंने 2010 में पाकिस्तान के एहसान
अल कुरैशी के साथ मिलकर अमेरिकी ओपन के फाइनल में प्रवेश किया था लेकिन बॉब
और माइक ब्रयान की दिग्गज जोड़ी से हार गए थे। बोपन्ना ने कहा, इस समय
मुझे कोई घबराहट नहीं होती है। बीते वर्षो ने मुझे बेहतर खिलाड़ी बनाया है।
मैं 2010 से बेहतर हो गया हूं।
उन्होंने कहा, 14 साल पहले पेशेवर करिअर की
शुरुआत करने के बाद अब अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब जीतना बताता है कि
मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी। यह मेरी ताकत है। मैं लगातार सही चीजें करता
रहता हूं। जब मैं जूनियर था तब मैंने कई टूर्नामेंट हारे। लेकिन मैं हताश
नहीं हुआ और लगातार मेहनत करता रहा। उन्होंने कहा, मैंने यह रवैया अपने
पेशेवर करिअर में भी अपनाया। 14 साल तक ग्रैंड स्लैम न जीतने पर मुझे कोई
पछतावा नहीं है।
जो चीजें मैंने बीते वर्षो में सीखी हैं उसने मुझे बेहतर
खिलाड़ी बनाया है। अर्जुन अवार्ड के लिए नामित किए जाने पर बोपन्ना ने कहा,
अर्जुन अवार्ड के लिए नामित होने पर मैं बेहद खुश हूं। एआईटीए ने 2014,
2015 में भी मेरा नाम भेजा था, लेकिन मंजूर नहीं हुआ। इस बार भी इंतजार
रहेगा कि क्या होता है।
(IANS)
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