लंदन ओलंपिक से पहले फेडरर ने अपना 7वां ऑल इंग्लैंड क्लब खिताब जीता लेकिन वह ओलंपिक में स्वर्ण नहीं जीत सके। सेमीफाइनल में उनका पोटरो के साथ 4 घंटे का मैच चला, जिसे जीतकर वह फाइनल में पहुंचे लेकिन मरे के हाथों हार गए। घुटने की चोट के कारण फेडरर ने रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया और अब 38 साल की उम्र में वह अंतिम बार अपने देश के लिए ओलंपिक खेलेंगे। ये भी पढ़ें - निसार अहमद को नहीं डिगा सकी पैसों की कमी, पिता चलाते हैं रिक्शा
क्ले कोर्ट का बादशाह माने जाने वाले नडाल इस दिग्गज तिकड़ी में सबसे सफल हैं। वह इस तिकड़ी में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक स्वर्ण जीतने के बाद करियर गोल्डन स्लैम हासिल किया था। नडाल ने सबसे पहले 18 साल की उम्र में एथेंस ओलंपिक में हिस्सा लिया था। वह हालांकि एकल में नहीं खेले थे। कार्लोस मोया के साथ वह युगल में खेले थे और पहले ही दौर में हार गए थे। 4 साल बाद नडाल ने बीजिंग ओलंपिक सेमीफाइनल में जोकोविक को हराया और फिर फाइनल में चिली के फर्नाडो गोंजालेज को हराते हुए चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया। बीजिंग ओलंपिक के बाद ही वह पहली बार वर्ल्ड नम्बर-1 बने। साल 2012 के लंदन ओलंपिक में वह चोट के कारण नहीं खेले लेकिन रियो में खेले और सेमीफाइनल तक पहुंचे। कांस्य के मुकाबले में वह जापान के केई निशिकोरी से हार गए। नडाल ने हालांकि पुरुष युगल में मार्क लोपेज के साथ सोना जीतकर ऐतिहासिक सफलता दर्ज की।
टोक्यो ओलंपिक का आयोजन अगले साल जापान में होना है और ऐसे में ये न सिर्फ अपनी साख के साथ न्याय करना चाहेंगे बल्कि अपने देश के लिए सोना जीतकर गर्व महसूस करना चाहेंगे। नडाल यह कारनामा 2 बार कर चुके हैं लेकिन अब देखना यह है कि फेडरर और जोकोविक इस सम्मान को हासिल करते हुए करियर गोल्डन स्लैम पूरा कर पाते हैं या नहीं।
(आईएएनएस)
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