पुरुष कुश्ती में कुछ और नाम उभरे, जिनमें सबसे प्रमुख राहुल अवारे का था
जिन्होंने इसी साल राष्ट्रमंडल खेलों में 57 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण
पदक जीता था। सुशील कुमार (74 किलोग्राम) और सुमित मलिक (125 किलोग्राम) भी
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। पुरुष कुश्ती में एक
विवाद ने इस साल भी पीछा नहीं छोड़ा। यह विवाद दो बार के ओलम्पिक पदक
विजेता सुशील और प्रवीण राणा के बीच का विवाद था। ये भी पढ़ें - टेस्ट सीरीज से बाहर हुए कमिंस व हैजलवुड, ये ले सकते हैं जगह
भारतीय कुश्ती महासंघ
(डब्ल्यूएफआई) का एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप के लिए आयोजित
ट्रायल्स में सुशील को प्राथमिकता देना प्रवीण को रास नहीं आया और इस बात
को लेकर कई बार उनके समर्थकों ने हंगाम भी किया। महिला कुश्ती में विनेश
अपनी बहनों गीता फोगाट और बबीता फोगाट से आगे निकल गईं। बजरंग की तरह ही
विनेश का स्वार्णिम सफर राष्ट्रमंडल खेलों से शुरु हुआ। विनेश ने 50
किलोग्राम भारवर्ग में सोने का तमगा हासिल किया।
विनेश का यह राष्ट्रमंडल
खेलों में दूसरा स्वर्ण पदक था। वह ग्लास्को-2014 में राष्ट्रमंडल खेलों
में सोना जीत चुकी थीं। इंचियोन में 2014 में आयोजित एशियाई खेलों में
विनेश ने कांस्य जीता था, लेकिन इस बार हरियाणा की यह पहलवान एशियाई खेलों
में अपने पदक का रंग बदलने में कामयाब रही। विनेश ने एशियाई खेलों में
स्वर्ण पदक हासिल कर अपने आप को विश्व की दिग्गज पहलवानों की टोली में खड़ा
कर दिया।
विनेश के अलावा एशियाई खेलों में एक और महिला पहलवान ने अपना
जलवा दिखाया। वह थीं दिव्या कांकराण। भारत केसरी दंगल में गीता को पटखनी
देने वाली दिव्या ने 68 किलोग्राम भारवर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण
जीता था। दिव्या ने इसी भारवर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में भी कांस्य पदक
अपने नाम किया था। विनेश के साथ ही दिव्या ने महिला कुश्ती में भारत के लिए
उम्मीद जगाई है। खिलाडिय़ों ने इस साल जो ऐतिहासिक सफलता हासिल की उसका
ईनाम डब्ल्यूएफआई ने भी खिलाडिय़ों को बखूबी दिया।
इसी साल से डब्ल्यूएफआई
खिलाडिय़ों के लिए ग्रेड सिस्टम के तहत वार्षिक अनुबंध लेकर आया। इसके तहत
महासंघ अनुबंध में शामिल खिलाडिय़ों को एक साल में एक तय रकम देगा।
डब्ल्यूएफआई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अलावा इस देश का
दूसरा बोर्ड है जो खिलाडिय़ों के लिए वार्षिक करार की सौगात लेकर आया है।
इसी के साथ डब्ल्यूएफआई भारत में अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) और
भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अंदर आने वाली पहली महासंघ जिसने खिलाडिय़ों
को वार्षिक अनुबंध का तोहफा दिया है।
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