अर्जुन अवार्डी इस निशानेबाज ने कहा कि हम जब आते हैं तो हम एक स्तर देखते
हैं कि इस स्कोर के नीचे कुछ नहीं है। वो स्तर हर साल बढ़ता जाता है तो
जूनियर आते हैं वो वह बढ़ा स्तर देखते हैं इसलिए जो नए लोग आते हैं उनके
लिए एक मिनिमम पैमाना सेट रहता है। यह उनकी मानसिकता बदल देता है। अगर
हमारे लिए 5.70 सबसे कम स्कोर था तो आज हमारे जूनियर्स के लिए 5.80 मिनिमम
स्कोर है। ये भी पढ़ें - सचिन तेंदुलकर के साथ तुलना पर ऐसा बोले उभरते स्टार पृथ्वी शॉ
तो कहीं न कहीं इतने सीनियर खेल रहे हैं, उनका भी योगदान है कि
उन्होंने बैंच मार्क बना दिए हैं और जूनियर्स को उन्होंने एक स्तर दिखाया
है कि इस स्तर तक हम कर सकते हैं। वहीं जूनियर्स को भी खुद से काफी
उम्मीदें हैं। राही मानती हैं कि उन्होंने वक्त और अनुभव के साथ काफी कुछ
सीखा और अपने खेल में निरंतरता हासिल की जो उनके अंदर बड़ा बदलाव है।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली राही ने कहा, मुझे ऐसा लगता है कि अब
मेरे प्रदर्शन में निरंतरता आई है।
अभी जो मैं स्कोर कर रही हूं वो मैंने
पहले भी किए हैं, लेकिन अब मेरे खेल में निरंतरता है। साथ ही तकनीकि रूप से
भी मैं काफी बेहतर हुई हैं। अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए राही
सिर्फ अभ्यास नहीं करती हैं बल्कि पढ़ती भीं हैं और यूट्यूब पर पुराने
वीडियो भी देखती हैं। उन्होंने कहा, मैंने काफी कुछ पढ़ा है। काफी वीडियो
देखे हैं तो अब जानकारी भी ज्यादा है। कभी-कभी खुद के वीडियो देखना भी
जरूरी होता है ताकि पता चले की तब हम क्या कर रहे थे और अब क्या कर रहे
हैं।
यूट्यूब पर, आईएसएसएफ चैनल पर वीडियो रहते हैं। ओलिम्पक के वीडियो देख
लिए। वेपन के मैकेनिजम में भी फर्क आ जाता है। उसके भी वीडियो भी यूट्यूब
पर रहते हैं कि उसे कैसे ठीक करना है। निशानेबाजी को लेकर कई लोगों ने काफी
कुछ लिखा है। तकनीक को लेकर। बदलावों को लेकर। मैं इस तरह की चीजें भी
पढ़ती हूं।
(IANS)
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