पंघल ने कहा, मुझे लगता है कि अभी मुझे अपनी ताकत और पॉवर पर और ज्यादा काम
करने की जरूरत है। मैंने इसलिए ही 48 से 52 किग्रा. में खेलने का फैसला
किया था। उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज काफी मजबूत हैं। फाइनल में मेरा
प्रतिद्वंद्वी ओलंपिक चैंपियन था। मैंने अपना शतप्रतिशत दिया, लेकिन अभी भी
कुछ चीजों में सुधार की जरूरत है। ये भी पढ़ें - केन विलियमसन का जीत के साथ आगाज, बने छठे कप्तान, देखें...
पंघल सेमीफाइनल में अपने से कहीं लंबे
कजाकिस्तान के साकेन बिबोसीनोव से भिड़े थे। उन्होंने कहा कि मैं अपने
प्रतिद्वंद्वी के जितना करीब हो सके, रहने की कोशिश करता हूं क्योंकि इससे
मुझे उनके अधूरे घूंसे को रोकने में मदद मिलती है। इसके बाद मैं अपने
मुक्कों को ठीक से लगा सकता हूं और अगर ऐसा होता है तो फिर विरोणी
मुक्केबाज अनियंत्रित हो जाता है।
पंघल को अब अगले महीने चीन के वुहान में
होने वाले सैन्य विश्व खेलों में हिस्सा लेना हैं। उन्होंने कहा, मैं उन
लोगों के खिलाफ मुकाबला करूंगा, जिनका सामना मैं यहां नहीं कर सकता क्योंकि
उनमें से ज्यादातर मुक्केबाज सेना में हैं। ओलंपिक क्वालीफायर में खेलने
के लिए यहां का अनुभव काफी काम आएगा।
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