नई दिल्ली। जुलाई-2016 से लेकर नवंबर-2018 तक नीरज चोपड़ा फॉर्म में थे और जहां भाला फेंक रहे थे पदक लेकर आ रहे थे। इसी तरह उन्होंने विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल, दक्षिण एशियाई खेल और एशियाई खेलों में पदक जीते। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वह हालांकि 2018 डायमंड लीग में बहुत करीब आकर कांस्य पदक से चूक गए थे। और यहीं से वो दर्द शुरू हुआ। नवंबर-2018 में नीरज की दाहिनी कोहनी में दर्द हुआ इसके कारण वह भाला फेंक नहीं पा रहे थे।
नीरज ने आईएएनएस से कहा, "रीहैब के दौरान, लंबे समय तक मैं भाला फेंक तक नहीं पा रहा था। यह तकरीबन चार या पांच महीने चला। लेकिन फिर भी यह ठीक था।"
मई 2019 में नीरज की सर्जरी हुई। उन्होंने कहा, "ट्रैनिंग और रीहैब के बाद मैं खुश था।"
एक बार सर्जरी हो चुकी थी और और वह वापसी के लिए तैयार थे। वह विश्व चैम्पियनशिप और फिर इसके बाद 59वें नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की तैयारी में थे।
चोपड़ा ने कहा, "ट्रेनिंग अच्छी चल रही थी और मैं उस समय अच्छी थ्रो भी कर रहा था। इसलिए मुझे लगा कि मैं इन टूर्नामेंट्स में खेल सकता हूं और ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर सकता हूं।"
लेकिन उनकी टीम ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया जिसका कारण डर था।
नीरज ने कहा, "मैं रांची में नेशनल्स में हिस्सा लेने की सोच रहा था लेकिन तब तक मैं ज्यादा थ्रो नहीं कर रहा था। इसलिए सभी ने मुझसे कहा कि अभी रहने दो। तुम काफी दिन से बाहर हो तो इस समय वापसी करना मुश्किल हो सकता है।"
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के सहायक कोच राधाकृष्णनन नायर ने कहा, "उसे लगा था कि वह फिट है और वह महासंघ से अपील कर रहा था कि उसे विश्व चैम्पियनशिप और फिर नेशनल्स में हिस्सा लेने दिया जाए। हमने उसकी दोनों अपीलों को खारिज कर दिया क्योंकि हम चाहते थे कि वह पूरी तरह से फिट हो जाएं। अब वह फिट हो चुके हैं हमारे लिए ओलम्पिक कोटा भी हासिल कर चुके हैं।"
नीरज को टोक्यो ओलम्पिक-2020 के लिए क्वालीफाई करने में ज्यादा समय नहीं लगा। 28 जनवरी को उन्होंने एसीएनडब्ल्यू लीग में 87.86 मीटर की थ्रो फेंक भारत को ओलम्पिक कोटा दिलाया। 2019 विश्व चैम्पियनशिप में ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 86.89 मीटर की थ्रो फेंक स्वर्ण जीता था।
नीरज ने कहा, "मैंने इस समय जो थ्रो फेंकी है वो मुझे विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक दिला सकती थी। लेकिन तब स्थिति अलग थी। यह समय पर निर्भर करता है। कुछ ही खिलाड़ी हैं जो 90 मीटर से ज्यादा थ्रो करते हैं। वह भी उस समय वो नहीं कर सके थे। इसलिए यह निर्भर करता है कि कौन किस समय किस फॉर्म से गुजर रहा है।"
अब जबकि नीरज ने ओलम्पिक कोटा हासिल कर लिया है , लेकिन वो जानते हैं कि अभी भी उनके पास सुधार करने के लिए कई जगहें हैं।
नीरज ने कहा, "वार्म-अप में थ्रो अच्छी जा रही थीं। मेरी पहली तीन थ्रो 81-82 मीटर की थीं। मुझे लगा कि कुछ जगहें हैं जहां मैं सुधार कर सकता हूं।"
(आईएएनएस)
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