उन्होंने कहा कि भारतीय सेना से जुडऩे के बाद करियर के शुरुआती दिनों में
उन्हें दौड़ में ज्यादा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा था। बकौल जॉनसन,
एथलेटिक्स में उतरने के बाद से मैंने अपने गांव में केवल एक साल का ही
अभ्यास किया था। भारतीय सेना में नौकरी मिलने के बाद मेरे लिए आगे की राह
काफी आसान हो गई, क्योंकि वहां पर मुझे कई तरीके की सुविधाएं मिलने लगीं।
जॉनसन ने 2015 में ही थाईलैंड में हुई एशियाई ग्रांप्री में कुल पांच पदक
अपने नाम किए थे। ये भी पढ़ें - शनाका ने गेंदबाजी नहीं बल्लेबाजी में किया कमाल, श्रीलंका जीता
इन पांच पदकों में तीन स्वर्ण और दो रजत पदक शामिल हैं।
जॉनसन को एथलेक्सि में शानदार उपलब्धि के लिए मंगलवार को राष्ट्रपति भवन
में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया
है। उनका कहना है कि पुरस्कार एक खिलाड़ी के अच्छे प्रदर्शन का नतीजा होते
हैं। उन्होंने कहा, सच पूछिए तो मेरा ध्यान अपने प्रदर्शन पर है, पुरस्कार
पर नहीं। अगर आप अपने क्षेत्र में अच्छा करते हैं तो ही आप पुरस्कार के
दावेदार हो सकते हैं। इस समय मैं अपने प्रदर्शन पर ध्यान दे रहा हूं।
हां,
पुरस्कार से आपका आत्मविश्वास जरुर बढ़ता है और आपको अपने खेल में और भी
बेहतरीन प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती है। अपनी आगे की योजनाओं के बारे
में पूछे जाने पर केरल के कोझिकोड़ जिले के निवासी जॉनसन ने कहा कि अभी वह
अगले एक-दो माह आराम करेंगे और इसके बाद विश्व चैम्पियनशिप और टोक्यो
ओलम्पिक-2020 के लिए तैयारियां शुरू कर देंगे।
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