एशियाई खेलों का 18वां संस्करण 18 अगस्त से शुरू होगा, जिसमें मुक्केबाजी
की स्पर्धाएं 24 अगस्त से शुरू होंगी और एक सितंबर तक चलेंगी। उन्होंने
कहा, दुनिया में एशिया की पांच-छह टीमें मुक्केबाजी में काफी मजबूत है और
भारत उनमें से एक हैं। सभी मुक्केबाज शानदार फॉर्म में चल रहे हैं। लेकिन
मेरा मानना है कि खेल में हर किसी का एक दिन होता है और हमें उम्मीद है कि
एशियाई खेलों में भी हमारा दिन होगा और हम वहां ज्यादा से ज्यादा पदक
जीतेंगे। ये भी पढ़ें - टेस्ट सीरीज से बाहर हुए कमिंस व हैजलवुड, ये ले सकते हैं जगह
राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने के बाद मनोज ने अपनी चोटों का
इलाज करवाया है और इसके बाद फिर वह ट्रेनिंग पर लौटे हैं। उन्होंने कहा,
मेरी ग्रोइन की चोट थी। लेकिन ट्रेनिंग पर लौटने से पहले मैंने इसका इलाज
करवाया है और फिर मैं एशियाई खेलों के लिए तैयारी में लौटा हूं। हरियाणा
में कैथल जिले के रहने वाले मनोज ने कहा, टीम के सभी खिलाडिय़ों ने मिलजुलकर
काफी अच्छी तैयारी की है और अपनी तकनीक में सुधार किया है।
हमें उम्मीद है
कि हम जकार्ता में अपनी तकनीक पर खड़ा उतरेंगे और अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
यह पूछने पर कि 2020 में ओलम्पिक होने वाले हैं और उस लिहाज से इस
प्रतियोगिता को कितना अहम मानते हैं, मुक्केबाज ने कहा, एशियाई खेलों से
सभी मुक्केबाजों का एक विश्वास जुड़ा हुआ है। अगर हम इसमें अच्छा प्रदर्शन
करते हैं तो ओलम्पिक के लिए हमारी उम्मीद जगेगी। इससे खिलाडिय़ों का मनोबल
बढ़ेगा ताकि वे ओलम्पिक में स्वर्ण पदक के लिए लड़े।
मुक्केबाजी में आने के
कारणों के बारे में पूछे जाने पर मनोज ने कहा, मेरे बड़े भाई राजेश कुमार
मुक्केबाज थे और अब वे कोच हैं। वे एक अच्छे मुक्केबाज रह चुके हैं और
उन्हीं के प्रदर्शन से प्रेरित होकर मैंने इस खेल में आने का फैसला किया।
उन्हीं को देखकर मैंने मुक्केबाजी सीखी है। उनका सपना है कि मैं देश के लिए
स्वर्ण जीतूं और मुझे खुशी है कि मैं उनके सपने को पूरा कर रहा हूं।
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