उलान उदे (रूस)। भारत की मंजू रानी को यहां आयोजित विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में रविवार को हार का सामना करना पड़ा। पहली बार विश्व चैम्पियनशिप में खेल रहीं मंजू को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। इसी के साथ कुल चार पदकों के साथ इस प्रतियोगिता में भारत का अभियान समाप्त हुआ। भारत ने टूर्नामेंट में एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते। छह बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम (51 किग्रा), जमुना बोरो (54 किग्रा) और लवलिना बोरगोहेन (69 किग्रा) को शनिवार को सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। मैरी हालांकि यहां जीते गए कांस्य की मदद से दुनिया की सबसे सफल (पुरुष एवं महिला) मुक्केबाज बन गईं। उनके नाम विश्व कप में कुल आठ पदक हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बहरहाल, रूस की एकातेरिना पाल्टसेवा ने पहली बार विश्व चैंपियनशिप में भाग ले रहीं छठी सीड मंजू को 48 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में 4-1 से पराजित किया।
रूसी खिलाड़ी पहले राउंड से ही मंजू पर भारी नजर आई। मंजू की लम्बाई पाल्टसेवा से ज्यादा है, लेकिन रूसी खिलाड़ी ने अपनी तेजी बेहतरीन उपयोग किया। तीनों राउंड में पाल्टसेवा ने काफी तेजी से जैब और हुक लगाए जिसका भारतीय खिलाड़ी के पास कोई जवाब नहीं था।
पहले और आखिरी राउंड के अंतिम क्षणों में मंजू ने जरूर कुछ अंक अर्जित किए। हालांकि, मंजू अपनी हार नहीं टाल पाईं। पांच जजों ने मेजबान रूस की खिलाड़ी के पक्ष में 29-28, 29-28, 30-27, 30-27, 28-29 से फैसला सुनाया।
18 साल बाद यह पहला मौका है जब किसी भारतीय महिला मुक्केबाज ने अपने पदार्पण विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता है। स्ट्रांजा कप की रजत पदक विजेता मंजू से पहले मैरी कॉम वर्ष 2001 में अपने पदार्पण विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची थीं।
लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता मैरीकॉम को शनिवार तुर्की की बुसेनांज कारिकोग्लू के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। कारिकोग्लू ने भारतीय खिलाड़ी को 4-1 से शिकस्त दी। भारत ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया।
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